Book Title: Panch Kalyanak Kya Kyo Kaise
Author(s): Rakesh Jain
Publisher: Tirthdham Mangalayatan

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Page 20
________________ के आधार से किया जाता है। यहाँ जिनमन्दिर के मूलनायक भगवान महावीरस्वामी हैं और उन्हीं के नाम पर मङ्गलायतन, विश्वविद्यालय में स्थापित किये जा रहे मन्दिर का नामकरण है। प्रश्न 14 - जिस प्रतिष्ठित प्रतिमा के सान्निध्य में सम्पूर्ण पञ्च-कल्याणक की विधि सम्पन्न होती है, उसे क्या कहते हैं? उत्तर – प्रतिष्ठा-महोत्सव में इस पूर्व प्रतिष्ठित प्रतिमा का विशेष महत्त्व होता है । इस प्रतिष्ठित प्रतिमा के सान्निध्य में अथवा इनकी अध्यक्षता में ही समस्त विधियाँ सम्पन्न होती हैं; अत: इसे विधि-अध्यक्ष कहते हैं। पञ्च-कल्याणक के प्रारम्भ में इस प्रतिमा को जिनेन्द्र रथयात्रा में धूमधाम के साथ प्रतिष्ठा मण्डप लाया जाता है तथा इन्हीं की शरण में विधिनायक, मूलनायक तथा अन्य प्रतिष्ठेय प्रतिमाओं को रखा जाता है। प्रश्न 15 - रत्न-वृष्टि का क्या महत्त्व है। उत्तर - प्रत्येक तीर्थङ्कर के जन्म से 15 माह पूर्व से ही सौधर्म इन्द्र की आज्ञा से कुबेर द्वारा उनके जन्मस्थान के नगर में रत्नों की वर्षा होती है। इसी की सूचनार्थ हम भी पञ्च कल्याणकों में कुबेर के माध्यम से रत्न-वृष्टि करवाते हैं। प्रश्न 16 - सोलह स्वप्नों का क्या महत्त्व है? उत्तर - जिस दिन तीर्थङ्कर का जीव अपनी पूर्व पर्याय को

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