Book Title: Panch Kalyanak Kya Kyo Kaise
Author(s): Rakesh Jain
Publisher: Tirthdham Mangalayatan

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Page 24
________________ आते हैं, तब सर्व प्रथम वे शची इन्द्राणी से बाल तीर्थङ्कर को अनुनय करके प्राप्त करते हैं। पश्चात् जन्माभिषेक के उद्देश्य से बाल तीर्थङ्कर को ऐरावत हाथी पर विराजमान करके सुमेरुपर्वत पर ले जाते हैं। सुमेरुपर्वत पर पाण्डुकवन में उन बाल तीर्थङ्कर का 1008 कलशों द्वारा क्षीरसागर के जल से अभिषेक होता है। यह पाण्डुकशिला सनातन मानी गयी है; इसी पर अनन्त तीर्थङ्करों का जन्माभिषेक हो चुका है, हो रहा है और होता रहेगा। प्रश्न 24 - ताण्डवनृत्य कब होता है और यह क्या सूचित करता है? उत्तर – जन्माभिषेक के बाद जब तीर्थङ्कर को सौधर्म इन्द्र दैविक वस्त्र धारण कराता है और ऐरावत हाथी पर बैठकर वापस आता है तो उनकेअद्भुतरूप को देखकर स्वयं अचम्भित हो जाता है। भगवान के रूप को देखने के लिए सौधर्म इन्द्र, एक हजार नेत्र बनाता है और हर्षपूर्वक महा-ताण्डवनृत्य करता है, तब भी उसे तृप्ति नहीं मिलती है। इसी प्रकार की स्थिति सभी इन्द्रों और उपस्थित जन समुदाय की होती है। यह क्रिया उत्साह एवं आनन्द की सूचक है। प्रश्न 25 - पालनाझूलन का क्या महत्त्व है? उत्तर - यह एक व्यावहारिक विधि है। जिस प्रकार लोक में

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