Book Title: Operation In Search of Sanskrit Manuscripts in Mumbai Circle 4
Author(s): P Piterson
Publisher: Royal Asiatic Society

Previous | Next

Page 289
________________ 110 EXTRACTS FROM MSS. श्रीमत्तपगणगगनांगणदिनमणिहीरविजयसूरीणाम् । शिष्याणुना विरचिता वृत्तिरियं कनककशलेन॥ १॥ नयनशररसेंदुमिते १६५२ वर्षे विराटनानि वडनगरे। बालजनविबोधनार्थ विजयदशम्यां हि समाप्ता ।।२।।युग्मम् । श्लोकानां षट्शती षोडशोत्तरा समजायत ।। प्रत्यक्षरं गणनया वृत्तौ संख्या निवेदिता ।। १ ।। __No. 1306. भरतेश्वरबाहुबली वृत्तिः-शुभशीलगणिः । आ°-युगादी व्यवहाराध्वा सर्वो येन प्रकाशितः । __स श्रीवृषभयोगींद्रो दद्यादोऽव्ययसंपदम् ।। १ ।। च-श्रीमतीकथा तपसि समाप्ता । श्रीचंद्रगच्छांबरभूषकोभूतपागणो सानुविद्वदीप्ति [भानुरिवातिदीप्तिमान् || प्रबोधयन् भव्यजनांबजाला [बुजानि] स्वगोविलासैरिव साधुवर्गम् ।। १॥ तत्राभवन् वरगुणगणमणिरोहणमहीधरप्रतिमाः । परमगुरुसोमसुंदरगुरवः संयमरमायतयः ॥ २ ॥ तच्छिष्या मुनिसुंदरगुरवो जयचंद्रसूरयोऽभूवन् । पारंगतागमजलनिधिपारं गता रुचिरगुणनिलयाः।। ३ ।। तच्छिष्या विजयंते दधते श्रीसूरिमंत्रमहिमभरः रिम् । श्रीयुक्तरलशेखरगुरव उदयनंदिसूरिवराः।। ४ ।। लक्ष्मीसागरसूरीशाः सोमदेवाह्वसूरयः । विजयंते लसद्विद्यावार्धिमंथनमंदराः ॥ ५ ॥ श्रीमन्मुनीशमुनिसुंदरसूरिराजशिष्याप्यो] मनीषिशुभशील इति प्रमूर्खः ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416