Book Title: Nyayalay Shabdakosh Author(s): Hindi Sabha Sitapur Publisher: Hindi Sabha Sitapur View full book textPage 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कि थोड़े ही दिन पूर्व मुरादाबाद पुलिस ट्रेनिंग स्कूल के तीन चार विद्यार्थी केवल इसी बात पर निकाल दियेगए थे कि उन्होंने परीक्षा-प्रश्नों के उत्तर नागरी लिपि में लिखे थे। फिरभी, यह मानना पड़ेगा कि अधिकारियों की ओर से कोई प्रकट विरोध नहीं था । सबसे बड़ा दोष तो वकीलों तथा मुंशियों का था । पुराने वकील अपनी लीक छोड़ना नहीं चाहते थे और धनहानि की आशंका से नए वकील साहस नहीं करते थे। ___ अगस्त १९४७ से देश का राजनीतिक वातावरण इकदम बदलगया। संयुक्तप्रान्त की सरकार ने हिन्दीभाषा तथा नागरी लिपि को प्रान्त को भाषा तथा लिपि स्वीकार कर लिया, तथा पूर्ण प्राशा है कि भारत को विधान परिषद् भी ऐसाही निश्चय करेगी। पूरे डेढ़ सौ वर्गवाद, परिस्थिति का परिवर्तन इतना अकस्मात हुआ, कि हिंदी-प्रेमी तथा इसके कर्ताधर्ता भी किंकर्तव्य विमूढ़ होगए । संयुक्तप्रान्त की सरकार ने घोषणा करदी है कि मार्च १६४८ से प्रान्त का सारा सरकारी काम हिंदी तथा नागरी में होगा, परंतु हिंदी के शब्दभांडार में उपयुक्त शब्दों का अभाव है । पिछले कुछ वर्षों में कई विद्वानों ने न्यायालय के व्यवहृत शब्दों के पर्याय लिखे थे, परंतु उस समय यह काम व्यर्थ का परिश्रम समझा जाताथा और लोगों ने पर्याय-शब्द के स्थानपर विवरणात्मक अर्थ मात्र लिखा । इसी अभाव की पूर्ति के लिये सीतापुर की हिंदीसभा ने प्रस्तुत प्रयत्न किया है । इसकाम में कहां तक सफलता मिली है. यह तो समय ही बतलावेगा । For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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