Book Title: Nyayalay Shabdakosh
Author(s): Hindi Sabha Sitapur
Publisher: Hindi Sabha Sitapur

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Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऐसा करने में पर्याय बहुत बड़ा होगया है। हमारा विश्वास है कि कल्पित पर्याय का एक खण्ड-मात्र भविष्य में प्रचलित होकर मूल शब्द का काम देगा। हमारे कुछ अलोचकों ने कहा कि पर्याय बहुत क्लिष्ट हैं तथा पूर्ण अर्थ व्यक्त नहीं करते। उत्तर में कहा जासकता है मूल अंगरेज़ी तथा उर्दू शब्द इनभाषाओं की जानकारी न रखने वालों के लिए पर्याय से अधिक क्लिष्ट भी हैं, और पूर्ण अर्थ भी व्यक्त नहीं करते । इन्हीं अलोचकों की यह भी आपत्ति है इन पर्यायों के प्रयोग में पुराने वकीलों, मुहरों तथा सरकारी अफसरों को बड़ी कठिनता पड़ेगी। हमने उनसे सविनय निवेदन किया कि पुराने वकीलों, मुहरि रों तथा सरकारी अफसरों ने अपने कार्यकाल में हिन्दी का कोई ऐसा उपकार नहीं किया कि वे कुछ बदले की आशा करें । हां नए वकीलों, मुहरि रों तथा सरकारी अफसरों में से अधिकांश हिन्दीभाषी हैं, और उन्हें कोई कठिनाई नहीं पड़ेगी। ___ अपने काम में हमने कितनी ही पुस्तकों से सहायता ली है। इनके दिवंगत अथवा जीवित लेखकों के प्रति हम अपनी कृतज्ञता प्रकट करते हैं श्री आपटे का अंगरेजी- संस्कृत कोश श्री वैद्य का संस्कृत-अंगरेज़ी कोश श्री भंडारी का अंगरेज़ी-हिन्दी कोश ना०प्र० सभा का गैज्ञानिक कोश अमर-कोश कौटिल्य- अर्थशास्त्र कथा सरित्सागर For Private And Personal Use Only

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