Book Title: Nrutyaratna Kosh Part 02
Author(s): Kumbhkarna Nrupati
Publisher: Rajasthan Purattvanveshan Mandir
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[ 39 ] विभवेन, यवनकुलकालरात्रिरूपेण शाकंभरीरमणपरिशीलनपरिप्राप्तशाकंभरीरमणपरि. शीलनपरिप्राप्तशाकंभरीतोषितशाकंभरीप्रमुखशक्तित्रयेण, नागपुरोद्धू लनर्षितनागपुरेण, इत्यादि बिरुदावलीविराजमानेन श्रीमहाराजाधिराजमहाराणश्रीकुंभकर्णमहीमहेंद्रविरचिते संगीतराजे षोडशसाहस्र यां संगीतमीमांसायां रसरत्नकोशे उद्दीपनविभावपरीक्षणं नाम चतुर्थ समाप्तं ।। उल्लासश्च समाप्तः ।।
पत्र ४७ ३. इति श्रीसरस्वतीरससमुद्भूतकरवोद्याननायकेन, अभिनवभरताचार्येण, मालवांभोधिमाथमंथमहीधरेण, अजयमेरुजयाजयविभवेन, यवनकुलकालकालरात्रिरूपेण, शाकंभरीरमणपरिशीलनपरिप्राप्तशाकंभरीतोषितशाकंभरीप्रमुखशक्तित्रयेण, नागपुरोळू लन धर्षितनागपुरेण, अर्बुदाचलग्रहणसंदर्शिताचलाद्भुतप्रतापेन, गूर्जराधीशधीरत्वोन्मूलनप्रचंडपवनेन, श्रीमत्कुंभलमेरुनवीननिर्मितसुमेरुणा, श्रीचित्रकूटभौमस्वर्गीकृतयथार्थीकरणरचितचारुपथेन, प्ररूढपत्रयवनदवदहनदवानलेन, मेदपाटसमुद्रसंभवरोहिणीरमणेन, अरिराजमत्तमातंगपंचाननेन प्रत्यर्थिपृथिवीपतिविमिरततिनिराकरणप्रौढप्रतापमार्तडेन, वैरिवनितावैधव्यदीक्षादानदक्षोइंडकोदंडदंडमंडिताखंडभुजदंडेन, भूमंडलाखंडलेन, श्रीचित्रकूटविभुना, अध्युष्टतमनरेश्वरेण, गजनरतुगाधीशराजत्रितयतोडरमल्लेन, वेदमार्गस्था[प] नचतुराननेन, याचककल्पनाकल्पद्र मेण, वसुंघरोद्धरणादिवराहेण, परमभागवतेन, जगदीश्वरीचरणकिरेण भवानीपतिप्रसादादाप्तापसादप्रसादेन, राजगुर्वादिविरुदावलीविराजमानेन, राजाधिराजमहाराणश्रीमोकलनंदनेन ॥ इति श्रीराजाधिराजश्रीकुंभकर्णमहीमहेंद्र ण विरचिते संगीतराजे षोडशसाहस्र यां संगीतमीमांसायां रसरत्नकोशे अनुभावकोल्लासे प्रथमं नाम तृतीयं अनुभाव. परीक्षणं॥
५० B. इति श्रीराजाधिराजकुंभकर्णमहीमहेंद्रेण विरचिते संगीतराजे षोडशसाहस्र यां संगीतमीमांसायां रसरत्नकोशे अनुभावोल्लासे अवस्थानिरूपणं नाम तृतीयं परीक्षणं समाप्तं ।
पत्र ५३ b. इति श्रीराजाधिराजश्रीकुंभकर्णविरचिते संगीतराजे षोडशसाहस्र यां संगीतमीमांसायां रसरत्नकोशे अनुभावोल्लासे सात्त्विकभावपरीक्षणं तृतीयं समाप्तं ।।
पत्र ५५ a. इति श्रीसरस्वतीरससमुद्भूतकैरवोद्याननायकेन, अभिनवभरताचार्येण, मालवांभोधिमाथमंथमहीधरेणः योगिनीप्रासदासादितयोगिनीपुरेण, मंडलदुर्गोदरणोद्धृतसकलमंडलाधीश्वरेण, अजयमेरुजयाजयविभवेन, यवनकुलकालरात्रिरूपेण, शाकंभरीरमणपरिशीलनपरिप्राप्तशाकंभरीप्रमुखशक्तित्रयेण, नागपुरोळू लनधर्षितनागपुरेण, अर्बुदाचलग्रहणसंदर्शिताचलाद्भुतप्रतापेन, गुर्जराधीशधीरत्वोन्मूलनप्रचंडपवनेन, श्रीमत्कुंभलमेरुनवीननिर्मित सुमेरुणा, श्रीचित्रकूटभौमस्वर्गीकृतयथार्थीकरणरचितचारुतरपथेन, मेदपाटसमुद्रसंभवरोहिणीरमणेन, अरिराजमत्तमातंगपंचाननेन, प्ररूढ पत्रयवनदहनदवानलेन, प्रत्यर्थिपृथिवीपतितिमिरततिनिराकरणप्रौढप्रतापमार्तण्डेन, वैरिवनितावैधव्यदीक्षादानदक्षोडकोदंडदंडमंडिताखंडभुजदंडेन, भूमंडलाखंडलेन, श्रीचित्रकूटविभुना, अध्युष्टतमनरेश्वरेण, गजनरतुरगाधीशराजत्रितयतोडरमल्लेन वेदमार्गस्थापनचतुराननेन, याचककल्पनाकल्पद्र मेण, वसुंधरोद्धरणादिवराहेण, परमभागवतेन, जगदीश्वरीचरणकिंकरेण, भवानीपतिप्रसादाप्तापसादवरप्रसादेन राजाधिराजश्रीमहाराज महाराणाश्रीमोकलनंदनेन राजाधिराजश्रीकुंभकर्णेन विरचिते संगीत

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