Book Title: Nrutyaratna Kosh Part 02
Author(s): Kumbhkarna Nrupati
Publisher: Rajasthan Purattvanveshan Mandir
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ने०र० को०-उल्लास ४, परीक्षण ४ श्रीब्रह्मगिरिभौमवर्गतायथार्थीकरणरचितचारुपथेन ॥५१॥ श्रीकामाक्षागिरिनवीननिर्मितिपराजितसुमेरुणा ॥ ५२ ॥ श्रीमहिषाचलोपरिश्रीहरिशरणरचिताचलदुर्गेण ॥ ५३॥ रायंगुरु चायंगुरु सेलगुरु रायांचापरगुरु वागाङ्गलारायांचामुहवनरायहिंसक्लरायमाचलपूर्वपश्चिमउत्तरदक्षिणचतुर्दिशां रायांचा-आंबुला-इत्यादि-बिरुदावलीविराजमानेन ॥ ५४ ॥ अध्युष्टतमनरेश्वरेण ॥ ५५ ॥ सबलराजस[मू]न्मूलना-5 चार्येण ॥ ५६ ॥ दुर्बलराजसंस्थापनाचार्येण ॥ ५७ ॥ पितृवैरसमुद्भूतरोषपोषणमहीपतिमत्तमातङ्गमस्तकाशेन ॥ ५८ ॥ अभिनवभार्गवेण ॥ ५९॥ राजभुजबलभीमेन ॥ ६० ॥ हिन्दूकराजगजपतिना ॥ ६१ ॥ आसनसिंहासनसितातपत्रमाणिक्यमालामण्डितवातान्दोलितजयपताकाकनकदण्डचन्द्रावदातचलचामरयुगलमकरध्वजादिराजराजालङ्करणावलोकनमत्सरितमानसेतरनृपालमौलिनिहितवामचरणेन ॥६२॥ नल-10 नहुषधुंधुमारभरतभगीरथमान्धातृमेधातिथिप्रभृतिचिरराजरत्नोदात्तचरितेन ॥ ६३॥ वेदमार्गस्थापनचतुराननेन ॥ ६४॥ सर्वदात्र्यम्बकादिगोदाविमुक्तिसमस्तामुक्तिप्रवितीर्णमुक्तमुक्ताकलापेन ॥ ६५ ॥ श्रीब्रह्मगिरिसन्निधिकृतयुगधर्मानुवृत्तिब्रह्मवृन्दाधिष्ठितानेकयज्ञाद्यखिलसुकृतकृत्यसत्यलोकेन ॥६६॥ परमभागवतेन ॥ ६७ ॥ अभिनवभरताचार्येण ॥ ६८॥ सङ्गीतमीमांसानिर्माणापरप्रभाकरेण ॥ ६९॥ प्रबन्धराजश्रीगीत-15 गोविन्दनिर्माणपरितोषितराधामाधवेन ॥ ७० ॥ कामाक्षास्तुतिकरणाराधितकामेश्वरीचरणकमलेन ॥ ७१ ॥ श्रीगीतगोविन्दटीकारचनवर्णितसाङ्गशृङ्गाररसेन ॥ ७२ ॥ सकलराजवाग्गेयकारतोडरमल्लेन ॥७३॥ सकलकविराजचक्रचूडामणिना ॥७४॥ वीणावादनप्रवीणेन ॥ ७५॥ सुशारीरशालिना ॥ ७६ ॥ पद्मनगरजनस्थानगोदावरीविराजमानम्लेच्छोच्छेदितचिरकालधर्मसंस्थापनेन ॥ ७७॥ संस्कृतभाषामहाराष्ट्रभाषा-20
लिङ्गकर्णाटभाषाचतुष्टयविरचितनाटकराजचतुष्टयेन ॥ ७८ ॥ याचकजनकल्पनाकल्पद्रुमेण ॥ ७९ ॥ वसन्तसमयसमागतसमस्तसामन्तसीमन्तिनीशिरोमणिसीमन्तसिन्दूरपूरदूरोभूलनप्रकटितप्रौढप्रतापेन ॥ ८० ॥ निसर्गदुर्ग्रहदुर्गवर्गदुर्गमप्र(? प्रा). कारपरिखापरिपातपरिखिद्यमानपरिशङ्कितपरिजनपरिवीतप्रत्यर्थिनितम्बिनीलुटाकार्गलादीर्घभुजायुगलेन ॥ ८१॥ धीरोदात्तधीरशान्तधीरोद्धतधीरललितचतुर्विधनायक- 25 गुणग्रामविचारचातुरीचतुराननेन ॥ ८२॥ अष्टविधनायिकाहावभावविवेकोहामोही. पितस्मरविलोकनानुभूयमानशृङ्गाररससान्तरनिरन्तरान्तरानन्देन ॥ ८३ ॥ नाटकनाटिकाख्यायिकाप्रलेहि(? हेलि)काकलाकलापकौशल्येन ॥ ८४॥ भारतीयरसदृष्टिभावष्टिभावितभावनाभिनवभरताचार्येण ॥ ८५ ॥ नन्दिकेश्वरमतानुवर्तनाराधितत्रिनयनेन ॥ ८६ ॥ परमपराक्रमार्जुनेनाथ बृहन्नटेन ॥ ८७ ॥ सतताराधितधर्मेणाथ 30 वृकोदरेण ॥ ८८ ॥ श्रीसरस्वतीरससमुद्भूतकैरवोद्याननायकेन ॥ ८९॥ यवनकुलाकालकालरात्रिरूपेण ॥ ९० ॥ सततपराभूतसूर्यवंशीन्द्रसेनराजराज्यसंस्थापनहढाङ्गीकारेण ॥ ९१॥ गूर्जरधराधीशमहमदसुलताणधीरत्वोन्मूलनप्रचण्डपवनेन ॥९२॥ त्रिसंध्यक्षेत्रसमुद्रसंभवरोहिणीरमणेन ॥ ९३ ॥ अरिराजमत्तमातङ्गपञ्चाननेन ॥ ९४ ॥ प्ररूढपत्रयवनदवदहनदावानलेन ॥ ९५ ॥ प्रत्यर्थिपृथिवीपतितिमिरततिनिराकरण-35 प्रौढप्रतापमार्तण्डेन ॥ ९६ ॥ वैरिवनितावैधव्यदीक्षादानदलोहण्डकोदण्डमण्डिता.

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