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(26)। चरपरा, कड़वा, कसायला, खट्टा और मीठा - इन पाँच रसों में से एक रस, सफेद, पीला, हरा, लाल और काला- इन पाँच वर्णों में से कोई एक वर्ण, सुगंध और दुर्गंध में से कोई एक गंध तथा कड़ा-नरम, हल्का-भारी, ठंडा-गरम और रूखा-चिकना - इन आठ स्पर्शों में से अविरुद्ध दो स्पर्श होते हैं, वह पुद्गल स्वभाव गुणवाला होता है ( 27 ) । परमाणुरूप पर्याय पुद्गल की शुद्ध पर्याय है। शुद्ध पर्याय होने से वह शब्द - रहित है। इस तरह निश्चयनय (मूलदृष्टि) से परमाणु पुद्गलद्रव्य कहा जाता है और इससे भिन्न ( व्यवहार - लोकदृष्टि से) स्कंध का नाम पुद्गलद्रव्य है (29)।
पुद्गलद्रव्य दो प्रकार का होता है: (1) परमाणु और ( 2 ) स्कंध | परमाणु दो प्रकार का होता है : ( 1 ) कार्य परमाणु और (2) कारण परमाणु (20)। चार धातुओं (पृथ्वी, जल, तेज और वायु) का जो आधार होता है वह कारण परमाणु कहलाता है तथा जो स्कन्धों का अंतिम भाग होता है वह कार्य परमाणु कहलाता है ( 25 )।
स्कंध छ प्रकार के होते हैं: (1) अति स्थूलस्थूल (2) स्थूल (3) स्थूलसूक्ष्म (4) सूक्ष्मस्थूल (5) सूक्ष्म और (6) अति सूक्ष्म (20, 21)। (1) अति स्थूलस्थूल स्कंधः भूमि, पर्वत आदि। (2) स्थूल स्कन्धः घी, जल, तेल आदि ।
(3) स्थूलसूक्ष्म स्कन्धः छाया, आतप आदि ।
(4) सूक्ष्मस्थूल स्कन्धः चार इन्द्रियों (स्पर्शन, रसना, घ्राण और चक्षु) के विषय कहे गये हैं।
(5) सूक्ष्म स्कन्धः कर्मवर्गणा के योग्य स्कन्ध सूक्ष्म होते हैं।
(6) अतिसूक्ष्म स्कन्धः कर्मवर्गणा के अयोग्य स्कन्ध सूक्ष्म होते हैं (22, 23, 24)1
नियमसार (खण्ड-1)
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