Book Title: Niyamsara
Author(s): Kundkundacharya, Himmatlal Jethalal Shah
Publisher: Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust

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Page 397
________________ Version 002: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates * श्री नियमसारनी वर्णानुक्रम गाथासूची के उM गाथा | पृष्ठ ८६ १६० १४० २७३ २१ Po २६ १०२ १०१ | ३४ ४९ २७ | १०० १५३ १४४ ७६ १०६ २०१ अ अइथूलथूल थूलं अणुखंधवियप्पेण दु अण्णणिरावेक्खो जो अत्तागमतच्चाणं अत्तादि अत्तमज्झं अप्पसरूवं पेच्छदि अप्पसरूवालंबण अप्पाणं विणु णाणं | अप्पा परप्पयासो अरसमरूवमगंधं अव्वाबाहमणिंदिय असरीरा अविणासा अंतरबाहिरजप्पे आ आउस्स खयेण पूणो आदा खु मज्झ णाणे आराहणाइ वट्टा आलोयणमालुंछण आवासं जइ इच्छसि आवासएण जुत्तो आवासएण हीणो गाथा | पृष्ठ उम्मग्गं परिचत्ता ४९ | उसहादिजिणवरिंदा ४८ ५८ | एगो मे सासदो अप्पा ___ ११ | एगो य मरदि जीवो ५५ | एदे छद्दव्वाणि य १६६ ३२९ | एदे सव्वे भावा ११९ / २३६ | एयरसरूवगंधं १७१ | ३३८ | एरिसभेदभासे १६३ | ३२४ | एरिसय भावणाए ९५ | एवं भेदभासं १७८ | ३४९ | क ४८ ९८ | कत्ता भोत्ता आदा १५० २९६ | कदकारिदाणुमोदण | कम्ममहीरुहमूल १७६ | ३४६ | कम्मादो अप्पाण १०० १८८ | कायकिरियाणियत्ती ८४ | १५६ | कायाईपरदव्वे १०८ / २०८ | कालुस्समोहसण्णा १४७ २९१ कि काहदि वणवासो १४९ / २९४ | किं बहुणा भणिएण दु १४८ | २९३ | कुलजोणिजीवमग्गण केवलणाणसहावो १८६ | ३६२ | केवलमिंदियरहियं १७४ | ३४१ | कोहं खमया माणं कोहादिसगब्भाव १८ | ११० ७० १२१ । ६६ १२४ | ११७ | १२१ २१३ २१५ १३४ २४० १२८ २४६ २३२ १०९ १८० २५ २२७ २२६ ९६ ईसाभावेण पुणो ईहापुव्वं वयणं कोहादिर ११५ ११४ | । ११६ ११६ उक्किट्ठो जो बोहो उत्तमअटुं आदा २३० ग | १७१ | गमणणिमित्तं धम्म Please inform us of any errors on rajesh@AtmaDharma.com

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