Book Title: Niyamsara
Author(s): Kundkundacharya, Himmatlal Jethalal Shah
Publisher: Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust
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________________ Version 002: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates पृष्ठ / 314 173 184 292 123 67 दर्शनं निश्चयः पुंसि दंसणपुव्वं णाणं द्रव्यानुसारि चरणं न नमस्यं च तदेवैकं न हि विदधति निषिद्धे सर्वस्मिन् निष्क्रिय करणातीतं प पडिकमणं पडिसरणं परियट्टणं च वायण पंचाचारपरान्नकिंचनपुढवी जलं च छाया प्रत्याख्याय भविष्य 230 58 101 पृष्ठ | य 107 | यथावद्वस्तुनिर्णीतिः 317 | यत्र प्रतिक्रमणमेव 197 | यदग्राह्यं न गृह्णाति यदि चलति कथञ्चि१९० यमनियमनितान्तः 79 ल 188 | लोयायासपदेसे 167 व | वनचरभयाद्धावन् 173 | वसुधान्त्यचतुःस्पर्शेषु 302 | व्यवहरणनयः स्या१४१ 52 | सकलमपि विहाया१८० | समओ णिमिसो कट्ठा समओ दु अप्पदेसो 315 | समधिगतसमस्ताः 295 | सव्वे भावे जम्हा संसिद्धिराधसिद्ध 169 | सिद्धान्तोऽयमुदात्त- / 154 | सो धम्मो जत्थ दया 229 स्थितिजनननिरोधलक्षणं स्थूलस्थूलास्ततः 116 | स्वयं कर्म करोत्यात्मा 198 | स्वरनिकरविसर्ग२०७ | स्वेच्छासमुच्छलद 87 65 66 120 179 157 बन्धच्छेदात्कलयदतुलं बहिरात्मान्तरात्मेति भ भावयामि भवावर्ते भेदविज्ञानतः सिद्धाः भेयं मायामहागर्ता 103 335 12 193 मज्झं परिग्गहो जइ मुक्त्वालसत्वमोहविलासविभित 90 297 Please inform us of any errors on rajesh@ AtmaDharma.com

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