Book Title: Nishesh Siddhant Vichar Paryay
Author(s): Labhsagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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________________ निःशेषसिद्धान्तविचार-पर्याय इति, वाहनतप्तिकारका मूलसार्थवाहेन नियुक्ताः / / एत्थेवेद गाहापुचद्धं भावेयव्वं' इति, 'एस गो वंजणमीसपण' इत्यादिकः / 'अज्झपूरयं गिण्हउ'त्ति, आत्मपूरक / 'भत्तमीसोवकावर्ड' फचरिप्रभृति / 'निम्मीसोबक्खड' केवल मन्नं / 'अद्धाणकप्पमायण' रात्रिभोजन / * उद्दाइयाए' मारीए / 'जहा गंड पिलागवा' इत्यादिगाथाव्याख्या - पिलाग- फोडिया विण्णवण थी-विज्ञा-. पनास्त्रीषु / ' हा दुडु कयं कारगगाहा' उक्तगाथेत्यर्थः / 'मूलं भवतीति चारित्रशुद्धमित्यर्थः / सुद्धा पडिसेवणा अजयणाए निप्फनं पच्छित्तं भवतीति शुद्धः पाठ; / 'चुलियं व (चुलि) वंदणागारेणे'ति, उल्लुकभिवेत्यर्थः / कयलगनादी-कदलीफलादीनीत्यर्थ: / बाडेन-वेगेन / पश्यतंबूलं-शदितताम्बूल: / एन्थ पव्ययओ अपवयं तेलु य इति पाठः / विद्धि लक्खणं-जानीहि / "तंतुगार-लोहगाराइ' इति / तंतुगारा:-कुविन्दगा: / ओमजगाइसउजणादिषु / बिबयं-बीबकामांत रूढम् / निल्लेवगाइ कायं निबत्तेइ' इति / निल्लेवगा-छिपगाइणा ते कार्य-प्रत्तोलकादिक विस्बेन निर्वर्तयन्तीत्यर्थः / 'लाउनालो' बोंडी तुवकनालमित्येकार्था: / 'संजई वा मा हत्थकम्म'-विटस्थ योनिप्रवेशरूपम् आवरिसंता-- छटकादिदानेन वर्षन्त श्वेत्यर्थ: / उड्डंचगो-वञ्चकः / कोट्टीयंहास्यादि / विहिानग्गया-अरण्यनिर्गता / साहीणभत्तारा-स्वाधीनभर्तृका / माउलदुहिया आभवा-आभजइजा इत्यर्थः / अप्फुन्नाव्याप्ता / 'ववहारो वि तेणति / राजकुलादो व्यवहारः कार्य: / 'वाइयजीएणति / वाचं वक्तीत्यर्थः / 'अभिसेगारिय'त्ति, अभिसेगो-उवज्झाओ। 'अंतपए दोवि गुरुगा'तपःकालाभ्यां / दोद्धियनालियं-तुबकबिटं / माइसलागा-त्राकुप्रति / परिसाडनिमित्तं-पडणनिमित्तं / 'ओमुत्तितलयं वा' सादिमूत्रेण

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