Book Title: Nirvan Upnishad Author(s): Osho Rajnish Publisher: Rebel Publishing House Puna View full book textPage 8
________________ अनुक्रम शांति पाठ का द्वार, विराट सत्य और प्रभु का आसरा . 2/25 निर्वाण उपनिषद-अव्याख्य की व्याख्या का एक दुस्साहस 3/45 यात्रा–अमृत की, अक्षय की निःसंशयता निर्वाण और केवल-ज्ञान की 4/65 पावन दीक्षा-परमात्मा से जुड़ जाने की 5/81 संन्यासी अर्थात जो जाग्रत है, आत्मरत है, आनंदमय है, परमात्म-आश्रित है 6/99 अनंत धैर्य, अचुनाव जीवन और परात्पर की अभीप्सा 7/121 अखंड जागरण से प्राप्त-परमानंदी तुरीयावस्था ..Page Navigation
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