Book Title: Nirvan Upnishad
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 11
________________ शांति पाठः ॐ वाङ्गमे मनसि प्रतिष्ठता, मनो मे वाचि प्रतिष्ठितम् आविराः वीर्म एधिं वेदस्य म आणीस्थः श्रुतम् मे माप्रहासीरनेन आधीनेन अहोरात्रात संदधामि। ॐ मेरी वाणी मन में स्थिर हो, मन वाणी में स्थिर हो, हे स्वयंप्रकाश आत्मा! मेरे सम्मुख तुम प्रकट होओ। . हे वाणी और मन! तुम दोनों मेरे वेद-ज्ञान के आधार हो, इसलिए मेरे वेदाभ्यास का नाश न करो। इस वेदाभ्यास में ही मैं रात्रि-दिन व्यतीत करता हूं।

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