Book Title: Nirvan Upnishad
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 2
________________ बहुत अद्भुत है निर्वाण उपनिषद। इस पर हम यात्रा शुरू करते हैं और यह यात्रा दोहरी होगी। एक तरफ मैं आपको उपनिषद समझाता चलूंगा और दूसरी तरफ आपको उपनिषद कराता। चलूंगा। क्योंकि समझाने से कभी कुछ समझ में नहीं आता, करने से ही कुछ समझ में आता है। करेंगे तभी समझ पाएंगे। इस जीवन में जो भी महत्वपूर्ण है, उसका स्वाद चाहिए, अर्थ नहीं। उसकी व्याख्या नहीं, उसकी प्रतीति चाहिए। आग क्या है, इतने से काफी नहीं होगा, आग जलानी पड़ेगी उस आग से गुजरना पड़ेगा। उस आग में जलना पड़ेगा और बुझना पड़ेगा। तब प्रतीलि होगी कि निर्वाण क्या है। -ओशो

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