Book Title: Nirgranth Pravachan
Author(s): Chauthmal Maharaj
Publisher: Guru Premsukh Dham

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Page 209
________________ 000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000 Nooooo0000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000 महामंत्र नवकार नमो अरिहंताणं, नमो सिद्धाणं, नमो आयरियाणं, नमो उवज्झायाणं, नमो लोए सबसाहूण एसो पंच णमोक्कारो, सब पावप्पणासणो। मंगलाणंच सब्वेसिं, पढमहवइ मंगलं|| agoooo0000000000000000000000000000000000000000000000000000 नमस्कार महामंत्र भावार्थ नमन हमारा अहँतों को, सिद्धों को, आचार्यों को 'आगम पुरुष' उपाध्यायों को, अखिल जगत के संतों को नमस्कार पंचक यह पावन, सब पापों का करता नाश, सभी मंगलों में प्रधान है, प्रकटे आतम दिव्य प्रकाश।। 0000000 तिक्खुत्तो - गुरुवन्दन सूत्र तिक्खुत्तो, आयाहिणं, पयाहिणं, करेमि वंदामि, नमसामि, सक्कारेमि, सम्माणेमि, कल्लाणं, मंगलं, देवयं, चेइयं, पज्जुवासामि, मत्थएण वंदामि।। मैं तीन बार दायीं ओर से प्रदीक्षणा वंदना नमस्कार सत्कार करता हूँ, सम्मान करता हूँ। आप कल्याणकारी, मंगलकारी धर्मदेव हैं, ज्ञानवान हैं। मैं आपकी पर्युपासना मस्तक झुकाकर करता हूँ। . निर्ग्रन्थ प्रवचन/206 C000000000000000000 Jain Education internatonian For Personal & Private Use Only boooo0000000000006 www.jainelibrary.org.

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