Book Title: Nirayavalikasutram Author(s): Ghasilal Maharaj Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti View full book textPage 9
________________ एक २ भाग, काल आदि दस कुमारोंको दिया, और ग्यारहवा भाग खुद लेकर राज्य करने लगा। राजा श्रेणिकने सेचनक गन्ध हाथी और रानी नन्दाने अठारह लडीबाला हार कुणिकके छोटे भाई वैहल्यको दिया था। वह हाथी पर बैठ गङ्गा नदीमें अपने अन्तःपुर परिवार के साथ क्रीडा करते थे। उनकी क्रीडा देखकर लोग कहने लगे-वास्तविक राज्योपभोग तो वैहल्ल्य कुमार ही करते हैं। कुणिक तो नाम मात्रके राजा हैं, क्यो कि उनके पास सेचनक गन्ध हाथी नहीं है। धीरे २ वैहल्यकी जलक्रीडाका समाचार कूणिक राजाकी रानी पद्मावतीको मालुम हुआ, वह वैहल्यले सेचनक हाथी और अठारह लडीवाला हार ले लेनेके लिये कूणिकको बार बार प्रेरित करने लगी। कुणिकने अन्तमें रानीकी बात मानकर अपने भाईसे हाथी और हार मागा। उन्होंने भी राज्यका हिस्सा मागा , परन्तु कूणिक इस पर तैयार न हो सके। यह देख वैहल्य कुमार मौका पाकर हाथी हार आदि अपनी सभी मामग्री लेकर अपने अन्तःपुर परिवारके साथ वैशाली नगरीमें अपने नाना चेटकके पास पहुंचे। कणिकने अपने दूतके द्वारा चेटकको संदेशा दिया-कि आप हाथी और हारके साथ वैहल्यको भेजदें । इसपर चेटकने उत्तर में संदेशा भेजा-यदि तुम राज्यका भाग वैहत्यको दो तो इसे हम हाथी और हारके साथ भेज सकते है, परन्तु कुणिकको यह शर्त मंजूर नहीं हुई, फल स्वरूप दोनोमें युद्ध हुआ। इधर कणिककी तरफ काल आदि दस कुमार थे उधर चेटककी और नौ लच्छी नौ मल्लकि ये अठारह गणराजा थे। इनमें प्रत्येकके पास तीन २ हजार हाथी घोडे रथ और तीन २ करोड पैदल सैनिक थे। प्रथम दिनकी लडाईमें कालकुमार अपने तीन २ हजार हाथी घोडे रथ और तीन करोड पैदल सैनिकके साथ चेटक राजासे लडनेके लिये आया और चेटकके एक अमोघ वाणसे सैन्य सहित मारा गया। दूसरे दिन सुकालकुमार, तीसरे दिन महाकाल, चौथे दिन कृष्णकुमार, पाचवें दिन सुकृष्ण, छठे दिन महाकृष्ण, सातवं दिन वीरकृष्ण, आठवें दिन रामकृष्ण, नवमें दिन पितृसेनकृष्ण, और दश दिन महासेनकृष्ण अपने २ सन्य सहित चेटककेPage Navigation
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