Book Title: Navtattva Sahitya Sangraha
Author(s): Udayvijay
Publisher: Mansukhbhai Manekbhai

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Page 13
________________ (८) ब. ॥ नवतत्त्वपरिशिष्टम्. नं. आ. (२) । केवलावरणं ॥ ९॥ चक्खू अचक्खू ओही-केवल आवरण निद्दपयलाओ। निहानिद्दा पयला-पयला थीणद्धी अस्सायं ॥ १०॥ मिच्छं कोहो माणो, माया लोभो चउबिहा चउरो । अण अपञ्च• क्खाणा, पञ्चक्खाणा य संजलणा ॥ ११॥ पुंइत्थीकीववेया, हा. सरइअरइसोगभयगरिहा । नरयाउ नरयतिरियगइ-णुपुबी इगबितिचउजाई॥१२॥ तसदसगं विवरीयं, कुखगइ उवधाय असुहवण्णचऊ। रिसहनराय नराय, द्ध कीलि छेवढ संघयणा॥१३॥ नग्गोह साइ वामण, खुजं हुंडं च नीचगुत्तं च । बलदाणलाभभोगो-वभोग विग्याइ वासीइ ॥ १४ ॥ (इति पापतत्वम् ) सुइनयणघाणजीहा-देहा पंचिंदिया कसायचऊ । वहअलियचोरियाबंभ-परिग्गहा अबया पंच ॥ १५ ॥ मणवयणकायजोगा, तिन्नि किरिया इमाउ पणवीसं । काइय अहिगरणीया, पाओसिय पारितावणिया ॥१६॥ पाणाइवायारंभिय, अपञ्चक्खाणमायपरिग्गहिया । मिच्छत्तदिद्विपुठिय, पडुच्चसामंतवणिया य ॥ १७ ॥ आणवणिवियारणिया, - -उपसागना ५ मन्तरायो, मे ८२ पापतत्वमा' छे. ( थी १४ ) श्रोत्र, यक्षु, ना. स. २५शन से ५ ४न्द्रियो,' ४ ४ाय, हिसा, भूषा, योरी, भैथुन, परियड से ५ (सतो,' भन, पयन, 12 से 3 · योगो,' यिी, अधिणी , प्राપિકી, પારિતાપનિકી, પ્રાણાતિપાતિકી, આરંભિકી, અપ્રત્યાખ્યાનિકી, માયામયિક, પારિગ્રહિકી, મિથ્યાત્વિકી, દષ્ટિકી, પૃષ્ટિ (पृष्टि)की, प्रतित्यी, सामन्तापनि, मानायन (माज्ञापन) श्री, विहारी, नैपृष्टीती, स्वास्तिकी, समुयिी, प्रायोगिकी मनामोनिसी, Aqxial प्रत्यायी, मिडी, देषि४ी, यापाथકી આ ર૫ ક્ષિાઓ,” એ રીતે કર “ આશ્રવ “ ભેદ છે ( १५ थी १८ ) सामायिहि ५ चारित्र, शीत, 3], तृषा, क्षुधा, श, अयेस, मति, स्त्री, या, शय्या, निषा, यायना, भस, १५, मास, शस, स.४२, ५ . मलाम, प्रज्ञा,

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