Book Title: Navgranthi
Author(s): Yashodevsuri
Publisher: Yashobharti Jain Prakashan Samiti
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________________ तेरकाठीयान स्वरूप नीचो घाली सोग लई बइठौ, अरे देव ! ए देखो, एहवो माहरे नथी, ए स्त्री चंदावदनी, मृगाक्षी, कृशोदरी, सिंहावलंकी, गजगामिनी, चित्तहग्णी, मनरंजनी ए , अनें माहरे स्त्री केहवी , सुंगाली, भमराली, पेटें बाली, वणे काली, ऊंट होठालि, चीपडी आंख, चक्रमुख, गर्दभस्वरी, उदरगागरी, विस्तीर्णढरी, क्रोधेभरी, विछणी, करडका मोडती, एती सराप देती, मुंडा बोली, विकराली, एहवी स्त्री माहरे छे. संतानहीन एहवां रूडां ग्रहणां नही, माहरा घर मध्ये धन नथी, म्यु करीई देवें, एहवा सर्जाड्या, एहवो सोग लेई बइठो. आतध्यानमां पइठौ, गुणने अपूठो कीधौं, ते सोग काठीइं रत्नत्रयी खजानो लूटी लीधो. ए शोग काठीयो // 7 // 8. लोभ काठीयो. बली जिमतिम करी शोगने विण जीन्यो. निश्चल मन करी एक मने धर्म सांभले छड, मनमें उदासीनता न धरइ छे. वैराग्यभावना भावे छ, संसार अनित्यता भावइ छै, एतले मोहराजाने हलकारै खबर जई दीधी, हो महाराजे स्वर आपणी जातनौं आपणी प्रजानो माणस श्रीजिनराजना उंबराव साधु पासे ऊंधा पग घाली हाथ जोडी एकण चित्ते, मुंढे लूगडांनो पलो देई सेवकनी परे बेठो छै. तिवारइ मोहराजाई हलकाराना एहवां वचन मांभलीने, भृकुटी चढावी, माथै सल घालीनै बोल्यौ, अरे चाकगे कोई हाजर छो ? तिवारे चाकर आयुध लेइ दौड्या, तिवारै मोहगजानो मोलाइ भाईई आवी मुजगे कों. तिवारे मोहगजाइ माईने हाथ जोडी कह्यो, रे भाई ! श्रीजिनगजना उबगव साधु आव्या छे तिहां तुम्हे जई आपणी परजाना लोकनें लेइ आवो. तिवारे मोलाई भाणेजई लोभे रूपीयो हाथमां सेल लेई मोहराजाने मुजरो कर्यो, तिवारे लोभने हुकम कर्यो अरे भाई ! तुं तो महाबलीयो छे. उपसमश्रेणी चढतां नई दशमें गुणठाणा थकी प्राणीयांने लेई आवे पोतानी हद सुधी, घर नजीकथी. घणा जीवनें पकडी लाग्यो. धुं तो महा मुग्वीर छै, तुज थकी सर्वजन बीहइ छे. जिमके सींहथी जनावर वीहें तिम, ताहगे नाम सांभलतां भयभ्रांत थास्यै, ते वास्ते धुं जा भाई. तेहने धर्म सांभलतां नई ल्यावो पहें मोहगजाने त्रिण सलाम करीने एकज श्वासे दोड्यो. जिहां ते प्राणी धर्म करे छंई तेहना शरीरने विषे प्रवेश कीधो. एतले तत्काल चेतना वगाडी, जे ए गुरू पासई स्युं थाई (?) एतो माथो मुंडावी बडठा. एहांने दीकरा दीकरीनी चिंता नथी. एक पेट भर्याथी काम छड. एहने आगळ पाछळ गेणार कोई मले नही. हाथमें घालें झोली. मागे पोली, भरे खोली, एहांने सी निता छै ? ऊठ जीवडा. साच जठ करीई नहींतो कमावीसुं नहीं. पर्छ पेट किम करी भराई. इम कहीने वखांण थकी ऊठ्यो. लोभ काठीई तिहाथी

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