Book Title: Navgranthi
Author(s): Yashodevsuri
Publisher: Yashobharti Jain Prakashan Samiti

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Page 296
________________ उपाध्याययशोविजजविरचित कोइ नहीं ते म्युं करीई ? एहवो कोई अंतरंगवालो बीजो नथी, ते आगल वार्ता कहीइं. धुं मननो ठारणहार छै. तुम्हारे अम्हारे घणाकालनी प्रीत छै. अनादि कालनी आपणे संबंध छै. ते संबंध क्या मिटस्य. जीव कायाथी जूदो थस्यै. अशरीरपणुं अणाहारीपणुं वली श्रीजिनराजना चाडीया आवस्य. आधीपाछी करस्य. आपण विचैं खलखंचपणुं करस्य. तिवारे ताहरें माहरई प्रीत तूटस्य अनें धुं पिग मुझने प्राण थकी बल्लभ छै पिण स्युं करीई वाल्हौ ! काम हुइ तेतो वाल्हानैज कहेवाइं अने ते काम वाल्हौज करै.. ना कही शके नहीं. ते वास्तै हो भाइ ! तुम्हें जाओ जिहां श्री जिनराजानै ऊंबरांवई माहग माणसने परवस कीधा ,. ते तुम्हे जइ वेगथी लेई आवो. मोहराजाई एहवं कह्यौ तिवारै अरतिकाठीयो श्वास ऊंचो, चढावी मुठी भीडी, आंख मींची हरणनी परै फाल नाखतो, जिहां श्रीवीतरागनी वाणी, अमृत खाणी, संसारभवजलतरणी, संसारछेदनकृपाणी, मोक्षनी सरणी, जिहां एकचित्तें सांभले छै भव्य प्राणी, तेहना शरीरने वि तस्कर चोरनी परै, जिम चोर चोरी करवा जाई तिहां मोटो घर देखी खातर पाडै अने चोर मनमाहें इम जाणे रखे घरनो धणी जाणस्यै, पछै खातर दीधो हुई तिहां पहेला पगथालें, पिण माथों न घाले ते किम ? जो पहिला माथो घालस्युं तो माथो वाढस्यै, ते भणी पहिला पगथालें, एत घरनो धणी जो पग पछाडै तो तिवारै बाहिरला चोर हुई, ते पग पकड्या हुई, ते चोरनो मस्तक छेदी लेइ जाई, तिम अरति काठियो चोरनी परै आवी पइठौ, तिवारें वरवांण सांभलतां अरति उपनी, एतलै ते प्राणी ऊठी जाई, एहवो चोर रत्नत्रयी स्वजानो लूटी गयो. // 11 // ___.. 12. चित्तविक्षेप [ व्याक्षेप ] कुतुहल, क्रीडा काठिया. एहवा अरति काठियाने पिण जीती प्रभुजीनी वाणी सांभले छई. एतलै मोहगजाई जाण्यु, जे ए श्रीजिनराजानो ऊंबराव घणो गाढ करै छै. एणे सघलाई काठीयाने जीतीने मोक्ष जास्यै तिवारै माहरो निकंदन थास्य. पर्छ कोई मांनस्यै नहीं, ते वास्ते माहरा बालमित्रों छे तेह. तेडावं. इम चितवी. व्याक्षेप, कुतुहल, क्रीडा ए 3 तीननै तेड्या. ते आवी ऊमा रह्या. पछे हाथजोडीनें कहता हुआ, हो 1. બારમા કાઠ્યિા પછીનું પાનું ત્રુટક મલ્યું, જેથી મુંજવણ ઉભી થઈ, પછી બારમાના વર્ણનમાં વ્યાક્ષેપ, કુતહલ, ક્રીડા ત્રણેયને તેડાવ્યા એવી વાત વાંચી. બારમાં એક સાથે ત્રણને કેમ નોતર્યા? તે પ્રશ્નાર્થક બન્યું. જે ત્રણેયને માન્ય રાખીએ તો કાઠિયાની સંખ્યા દિની થઈ જાય, તો શું કુતુહલ અને કીડા એક જ છે? જે એક જ હોય તો લખાણમાં ત્રણને કેમ તેડાવ્યા ? જો કે બીજા નામાંતર એ આવે છે એમાં કીડાનું નામ લીધું દેખાતું નથી. બીજું ચોકસ નિર્ણય કરવા માટે અત્યારે ભંડારમાંથી પ્રત્યન્તરો પ્રાપ્ત કરવા સમય નથી તેને રંજ છે.

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