Book Title: Navfana Parshwanath Stava Author(s): Kalyankirtivijay Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 1
________________ छन्द श्रीनवफणापार्श्वनाथस्तव सं मुनिकल्याणकीर्तिविजय आ कृतिमां, अर्बुदाचल (आबु)तीर्थ पर रहेल माण्डलिक वसहीमा बिराजमान श्री नवफणा पार्श्वनाथ भगवाननी, आठ भाषाओमां, स्तवना करवामां आवी छे. आठेय भाषाओमां जुदा जुदा आठ छन्दोमां त्रण-त्रण श्लोको रचवामां आव्या छे, अने छेल्ले प्रशस्ति श्लोक संस्कृतमां छे. एटले कुल २५ श्लोकोनुं आ स्तव छे. छन्दोनी गोठवणी वर्धमान अक्षरोमां करवामां आवी छे. भाषा छन्दनु लक्षण अक्षर संस्कृत द्रतविलम्बित न-भ-भ-र (!!। 5॥ | ) १२ २. समसंस्कृत-प्राकृत नन्दिनी सजसजग (1ऽ ।ऽ। 15 155) १३ प्राकृत तभजजगग (ऽऽ। । ।ऽ ।ऽ।ऽऽ) १४ शौरसेनी मालिनी (॥ ॥ 5ऽऽ ।ऽऽ ।ऽऽ) १५ मागधी ननमजसग (॥ ॥ 555 151 ||ऽऽ) १६ ६. पैशाची जसजसयलग (15। ॥5।।15 15ऽ ।ऽ) १७ ७. चूलिका पैशाची शार्दूलविक्रीडित मसजसततग(555 115 15। ।।5 55। 5515) १९ अपभ्रंश वस्तुछन्द प्रशस्ति (संस्कृत) हरिगीत प्रत्येक चरण २८ मात्रानुं छे. (अहीं मागधी भाषामां जे त्रण श्लोको रचाया छे तेना छन्दनुं नाम जाणवा मळ्युं नथी.) स्तवनी रचनाशैली, तेमां रहेलुं काव्यतत्त्व वगेरे जोतां एम लागे छे ननमयय पृथ्वी ८. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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