Book Title: Nagri Pracharini Patrika Part 15 Author(s): Shyamsundardas Publisher: Nagri Pracharini Sabha View full book textPage 6
________________ नागरीप्रचारिणी पत्रिका पंद्रहवाँ भाग (१) हिंदी काव्य में निर्गुण संप्रदाय [ लेखक-डाक्टर पीतांबरदत्त बड़थ्वाल, एम० ए०, एल-एल० बी०, डी० लिट०, काशी ] पहला अध्याय परिस्थितियों का प्रसाद इस क्षणिक जीवन के परवर्ती अनंत प्रमर जीवन के लिये माकुलता भारत की अंतरात्मा का सार है। परलोक की साधना में ही वह इहलोक की सार्थकता मानती है। १. भामुख प्रात्मा और परमात्मा की ऐक्य-साधना का निर्देश करनेवाली मधुर वाणो का भारतीयों की भावना, रुचि और आकांक्षा के ऊपर सर्वदा से वर्णनातीत अधिकार रहा है। भारतीय जीवन में संचार करनेवाली प्राध्यात्मिक प्रवृत्ति की इस धारा के उद्गम अत्यंत प्राचीनता के कुहरे में छिपे हुए हैं। युग-युगांतर को पार करती हुई यह धारा अबाध रूप से बहती चली आ रही है। प्रवाह-भूमि के अनुरूप कभी सिमटती, कभी फैलती, कमी वालुका Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
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