Book Title: Nagri Pracharini Patrika Part 15
Author(s): Shyamsundardas
Publisher: Nagri Pracharini Sabha

View full book text
Previous | Next

Page 13
________________ ८ नागरीप्रचारिणी पत्रिका उनमें न कोई नीच था, न ऊँच । मुसलमान होने पर छोटे से छोटा व्यक्ति अपने आपको सामाजिक दृष्टि में किसी भी दूसरे मुसलमान के बराबर समझ सकता था । ग्रहले - इस्लाम होने के कारण वे सब बराबर थे । पर हिंदू धर्म में यह संभव न था । इस प्रकार के घृणा व्यंजक विभेदों को हिंदू समाज में रहने देना क्या उचित है ? प्रत्येक विचारशील व्यक्ति के आगे सारी परिस्थिति इस महान् प्रश्न के रूप में उठ खड़ी हुई । शूद्रों के लिये तो यही एकमात्र समस्या थी जिसकी ओर उच्च वर्ग के लोग गहरे प्रहारों के द्वारा रह रहकर उनका ध्यान आकृष्ट किया करते थे । सतारा के संत नामदेव को लोगों ने किस प्रकार, यह मालूम होने पर कि वह जात का छोपी है, एक बार मंदिर से निकाल बाहर किया था, इस बात का उल्लेख स्वयं नामदेव ने अपने एक पद में किया है । ४. भगवच्छरणागति राजनीतिक उत्पात के कारण जो अव्यवस्था और हाहाकार उत्तर भारत में मचा हुआ था, उससे अभी दक्षिण बचा था । राजनीतिक दृष्टि से वहाँ कुछ शांति का साम्राज्य था और धार्मिक जीवन नवीन जागर्ति पाकर अत्यंत कर्मण्य हो उठा था । बुद्ध के निरीश्वरवादी सिद्धांत ने जन-समाज के हृदय में जो शून्यता स्थापित कर दी थी उसकी पूर्ति शंकराचार्य का अद्वैतवाद भी न कर सका था । प्रतएव लोगों की रुचि फिर से प्राचीन ऐकांतिक धर्म की ओर मुड़ रही थी जिसका प्रवर्तन संभवतः बदरिकाश्रम में हुआ था । उपास्य देव को ऐकांतिक प्रेम का प्रालंबन बनानेवाले इस नारायणी धर्म में जनता ने अपने (१) हँसत खेलत तेरे देहुरे श्राया । भक्ति करत नामा पकरि उठाया । हीनदी जाति मेरी जाद भराया । छीपे के जनमि काहे को आया ॥ - प्रादि-ग्रंथ, पृ० ६२६ www.umaragyanbhandar.com Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat

Loading...

Page Navigation
1 ... 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 ... 526