Book Title: Naabhi Humara Kendra Bindu
Author(s): Nalini Joshi
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 4
________________ २३६ ] प्रकार की बाहरी चिन्तायें नहीं होतीं । गृहस्थी को तो गृहस्थी के बीच नाना प्रकार की चिन्तायें होती हैं, उन चिन्ताओं के कारण उनके शरीर में कमजोरी आ जाना स्वाभाविक ही है पर सन्यास से शरीर में कोई कमी न आनी चाहिये, बल्कि शरीर में अगर कोई कमी हो तो उसकी भी पूर्ति हो जानी चाहिये । तो इस सूत्र को पा लिया था भगवान महावीर ने जिसके पा लेने पर फिर उनके शरीर में कोई कमी नहीं आयी, उनके शरीर की शक्ति क्षीण होने के बजाय उनमें अनन्त वीर्य प्रकट हुआ। जिस शरीर में रहने वाले आत्मा में अनन्त वीर्य प्रकट हो जाता है वह शरीर भी अनन्त शक्तिशाली हो जाता है। तो शरीर भी क्यों शक्तिशाली हो जाता इसमें एक बहुत बड़ा महत्वपूर्ण राज है । उस राज को भी समझना होगा। भगवान महावीर स्वामी के ध्यान में नासाग्र दृष्टि एक मुख्य बात थी। नाक के बिल्कुल सीध में उनकी दृष्टि थी। यह नाक की सीध का एक बड़ा प्रमुख केन्द्र है। और यदि वहां से भी शिथिल हो जावे तो फिर नाभि जीवन का एक बड़ा महत्वपूर्ण केन्द्र है। हमारा जन्म होता है तो नाभि से, हमारा पोषण होता है तो नाभि से और इस जन्म में जो हम भोजन करते हैं वह भी पचता है हमारी नाभि से ? इस शरीर में जो शक्ति सप्लाई होती है वह भी नाभि से होती है। तो नाभि में कोई ऐसा सूत्र है जिसके कारण वह नाभि केन्द्र सक्रिय होता है। नामि जब प्रकाशित हो जाती है तो वह शक्ति ग्रहण करती है। देखिये नाभि में एक कमल है। वह कमल कहीं ऐसा भौतिक कमल नहीं है जो कि वनस्पति का बना हुआ हो । वह कमल है ऊर्जा रूप । जिसे कोई-कोई कहते ट्रांसमीटर । ऐसा कमल है और वह बन्द है । इस नासाग्र दृष्टि के द्वारा उस कमल को खोला जा सकता है। जब वह कमल खुल जाता है तो जैसे तालाबों में आपने देखा हो कि जब सूर्य उदित हो जाता है तो कमल खिल जाते हैं और जब सूर्य छिप जाता है तो कमल बन्द हो जाते हैं। ऐसे ही हमारे नाभि में जो कमल है वह भी सूर्य के उदित होते ही खुल जाता है और जब सूर्य का अस्त होता है तो वह बन्द हो जाता है। इसलिये तो कहा गया है कि आप __ दिन में भोजन करें। हमारी नाभि सूर्य से ऊर्जा ले रही है और वह ऊर्जा हमारे भोजन को पचाने में सहयोगी होती है। इसलिये दिन में किया ह भोजन पचंगा और आपके शरीर में लगेगा और रात्रि में किया हुआ भोजन हमें शक्ति नहीं दे सकता क्योंकि वहाँ सूर्य की ऊर्जा नहीं मिल रही है। एक बात तो यह भोजन

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