Book Title: Naabhi Humara Kendra Bindu
Author(s): Nalini Joshi
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 1
________________ नाभिःहमारा केन्द्र बिन्दु एक बार एक ग्रामीण व्यक्ति शहर में आया और किसी होटल में ठहर गया ! हावा खाया और मारी होटल की चकाचौंध उसने देखी और बड़ा आनन्दित हुआ। उसके बाद जब वह सोने की तैयारी करने लगा तो कमरे में एक बिजली का बल्ब जल रहा था । वह व्यक्ति उस बल्ब के सम्बन्ध में कुछ जानता था नहीं सो वह उसे बुझाने के लिये मुख से फूक मार रहा था। कई वार उसने मुख से फूक मारा पर वह बुझा नहीं । अन्त में हैरान होकर वह विना उस वल्म को वुझाये ही मो गया। प्रातः काल होते ही जब उस होटल का बैरा आया और उसने पूछा-बाबू जी आप रातभर आराम से रहे ना? तो वह व्यक्ति बोला- हाँ आराम से तो रहे पर मैंने इस दीप को बहुत-बहुत फूंक मारकर बुझाना चाहा पर वुझा नहीं। तो उस वैरे ने कहा- अरे यह दीप कहीं मुख से फेंकने से नहीं बुझा करता, यह बुझता है स्विच के आफ करने से। तुम्हें उस स्विच का पता नहीं है। आखिर बैरे ने स्विच को आफ कर दिया तो वह बल्ब बुझ गया। एक दीपक बह होता है जो कि तेल से जला करता है पर वह दीपक हवा . का जरा सा झोंका आने पर थुझ जाता है, और एक यह दापक एक ऐसा दीपक है जो कि हबा के तेज झकोरों से भी नहीं बुझ सकता। इसको बुझाने के लिये तो स्विच आफ करना होगा। तो ऐसे ही हमारे जीवन में धर्म की बात मिलती है। हम दीपक जलाते हैं पर बिजली नहीं जलाने। दीपक जलता है और हवा का झोंका आने पर थोड़ी ही देर में बुझ जाता है । मन्दिर, मस्जिद गुरुद्वारों में जब पहुंचते हैं तो वहाँ पहुंचने पर कुछ दीपक जल जाता है लेकिन जैसे ही क्रोध आया, मानसम्मान की कोई बात आयी, या संयोग वियोग सम्बन्धी कोई घटना घट गई तो वहाँ इन आँधियों के झकझोरों से वह दीप बुझ जाता है और फिर वहीका-यही अन्धेरा हो जाता है। बस ऐसा ही दीपक जलता रहता है हमारे आपके जीवन में।

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