Book Title: Murtipooja
Author(s): Khubchand Keshavlal Master
Publisher: Gyan Pracharak Mandal Sirohi

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Page 272
________________ तैयार हो रहा है। हिन्दी भाषामें पृष्ठ ५०० श्री पञ्च प्रतिक्रमण सार्थ सूत्राणि शब्दार्थ, भावार्थ, स्फुट नोट, विधि, हेतु आदि विषयोसहित. पूबसे ग्राहक होने वालेसे मात्र रु. ४ (चार रुपीया) प्रति पुस्तकका लिया जायगा. अतएव शिघ्र ग्राहक बने, क्योकि ये पुस्तक प्रत्येक घरमें रखने योग्य है. इस किताब में शब्दार्थ एसा लिखा गया है कि पाठशालाके विद्यार्थियो को कंठस्थ करना ठीक हो, अतः एक एक शब्दका अलग अलग अर्थ लिख कर फिर गाथा व उसके नीचे गाथाका अर्थ समझाया गया है, अर्थमें भी जहां तक हो शका है वहां तक कठिन शब्द नहीं डालते बालकोको समझमें मा जाय वैसे ही शब्द डाले गये है. इस पुस्तक लेने वालोको दुसरी पुस्तकें देखनेकी जरुरत नहीं पडे इसीसे इस किताबमें पंच प्रतिक्रमण मूल सूत्र तथा अर्थ, भरहेसर सज्झाय के विशेष नामोंकी यादी, नौस्मरण मूल व अर्थ, सामायिक, प्रतिक्रमण, चैत्यवंदन, देववंदन, पौषध, पडिलेहन, संथारा पौरसी आदि की खुला. सावार विधि और उनका मतलब, पञ्चक्खाण मूल व अर्थ, देवगुरु की आशातना, सामायिक दोष, मुहपतिके बोल, काउस्सग्गके दोष, रास, चैत्यवंदन, स्तवन, सज्झाय, स्तुती, गहुँली, छंद, स्तोत्र, आरती, मंगलदीवा, प्रतिक्रमण संबन्धी बातो तथा उनका हेतु, चौद नियम, बारह व्रत, साधुके Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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