Book Title: Mumbai Prant ke Prachin Jain Smarak Author(s): Shitalprasad Publisher: Manikchand Panachand Johari View full book textPage 8
________________ (७) प्रदश बम्बई प्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक की भूमिका बम्बई भारतवर्षका सबसे बड़ा प्रान्त है । यथार्थमें वह कई प्रदेशोंका समूह है। उसके मुख्य बम्बई प्रांत और उसकी विभाग ये हैं:-सिन्ध, गुजरात, ऐतिहासिक महत्ता। काठियावाड़, खानदेश, बम्बई, कोकन _ और कर्नाटक । इसमें लगभग एकलाख तेईसहजार वर्गमील स्थान है । यह प्रान्त जितना लम्बा चौड़ा है उतना महत्वपूर्ण भी है। जैसा वह आज देशके प्रान्तोंका सिरतान है वैसा ही प्राचीन इतिहासमें भी वह प्रसिद्ध रहा है । ईस्वीसन्से हजारों वर्ष पूर्व इस प्रान्तका बहुत दूर रके पूर्वी और पश्चिमी देशोंसे समुद्रद्वारा व्यापार होता था । भृगुकच्छ (भरोच), सोपारा, सूरत आदि बड़े प्राचीन बन्दर स्थान हैं। इनका उल्लेख आजसे अढ़ाई हजार वर्ष पुराने पाली ग्रंथोंमें पाया जाता है । अधिकांश विदेशी शासक, जिन्होंने इस देशपर स्थायी प्रभाव डाला, समुद्र द्वारा इसी प्रान्तमें पहले पहल आये । सिकन्दर बादशाह सिन्धसे समुद्र द्वारा ही वापिस लौटा था। अरब लोगोंने आठवीं शताब्दिके प्रारम्भमें पहले पहल गुजरात पर चढ़ाई की थी। ग्यारहवीं शताब्दिके प्रारम्भमें महमूद गजनवीकी गुजरातमें सोमनाथके मंदिरकी लूटसे ही हिंदू राजाओंकी सबसे भारी पराजय हुई और हिन्दू राज्यकी नींव उखड़ गई। सत्रहवीं शताब्दिके प्रारम्भमें ईस्टइंडियाPage Navigation
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