Book Title: Mudrit Jain Swetamber Granth Namawali Author(s): Buddhisagar Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal View full book textPage 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir करतां तेने श्रीअध्यात्मज्ञानप्रसारक मंडळना आगेवान श्रीमान् मोहन. लालभाइ हिंमचंदभाइए शिरोधार्य करतां मंडळना भाइओनी अनु. मतीपूर्वक मंडळ तरफथी एक यात्रीने सबळ साधन आपीने अनेक स्थळेथी प्राचीन इतिहास, साहित्य, कला, धर्म, तत्त्वज्ञान विगैरेनी शोधखोळ करी परिणाम प्रसिद्ध करवाना करेल निश्चय प्रमाणे आ एक न्हानी सरखी ज्ञानयात्रानी तवारीख छः बधु मळीने १०१ दीवसर्नु आ मंथन छे तेमां मात्र ३० दीवसनी यात्रापां थयेलां जुदा श्रुत मंदिरोनी यात्रा वर्णन तथा बाकीनो वखत पोष्ठद्वारा ज्ञानयात्रानी तीर्थस्थानोनी विगतो एकठी करवा विगेरे समारंभ खाते रोकायेल छे. तोपण आ साहित्ययात्रामां मळेली इबारतो-जेवीके-अजब यात्रा, भ्रमयात्रा इत्यादि सविस्तर वर्णन आपवामां आवेल छे. ... . अल्प समय, अल्प द्रव्य सहायना कारणथी आ यात्रा अघव. चथी बंध पडी छे, तोपण आवी यात्रा माटे एक नहि पण अनेक व्यक्तिओनो संघ काढी-ज्ञानयात्रानां न्हानां मोटां सघळा तीर्थोनी पवित्र भूमिमां उपराउपरी संघो मोकली-अनेक व्यक्तिओने दर्शन कराववा जोइए. अने तवारीखो बहार लाववी जोइए. ___ आ ग्रंथ प्रकट करवाना विचारो प्रकट करतांन एक प्रश्नावळी तैयार करी छपावी साधु मुनिराजो आचार्यों तथा विद्वान जैनजैनेतरो तरफ रवाना करी तेमनी जाणमां, कबजामां, के ध्यानमा होय ते बधां पुस्तकोनी नोंधो मांगी हती पण केटलाक-मुनि महाराजाओ तरफथी फॉर्म अधुरां भराइने आव्यां हतां आवेलां फॉर्ममां लखाइ आवेला ग्रंथो अमे नजरोनजर जोया नथी-पण तेमां आवेली हकीकत प्रमाणे दाखल कर्या छे-एक बीजा ग्रंथोनी साथे मुकाबला माटे उपयोगी प्रथो जणाया ते जैनेतर छतां-अथवा स्वेताम्बरोना समुदायनी साथे तेने पण अनुक्रममां गोठव्या छे. For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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