Book Title: Mudrit Jain Swetamber Granth Namawali
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 10
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नाम वगरनां अने अपूर्ण विगतनां फॉर्म पण आव्यां छे के ते फॉर्म कोना तरफयी आव्यु छे ते पण समजवामां आव्यां नथी. केटलाकोए लीष्टो मोकली आपवाना जबाबो आपेला छसां पण अने तेमने बबे, त्रण त्रण अने केटलाकोने चोथी बखत लख्या छतां जवाबज आप्या नथी. बुकसेलरोनां लीष्टो परथी पण नोंघ लेवामां आवी छे. फॉर्मस आप्या छतां अने वारंवार विनति कर्या छतां-पण आणे आ कामने इसी काढता ना होय एम करी दरकार पण करी नथी. छतां मल्युं तेटला पर तथा मेळव्यु तेटला परथी ग्रंथ तैयार करवामां आव्यो छे. केटलीक विगतो आपवामां आवी के तेथी वधु स्पष्टीकरण थशे: दिगंबर समुदाय जुदो पाडवामां आव्यो छे ते अनुकुळताए छपाशे पण हालना लीष्ट साथे केटलाक जरुरी ग्रंथोने मेगाज दा. खल कर्या छे.. जैन पंडितोए लखेला-अन्य योनी पण नोंध लेवामां आवी छे. एकनो एक ग्रंथ अनेक स्थळेयी उपलब्ध थतो होय छे तेनां जुदां जुदां ठेकाणां पण बताव्यां छे. छपावनार पासे ग्रंथ सीलकमां ना होय तो पण जोनारने जोवा मली शके. ते हेतुसर तेची खानगी लायब्रेरीओनां स्थळ पण बताव्यां छे. केटलाक बुकसेलरो तथा तेमनी खानगी लायब्रेरीओ के. तेमा उपलब्धस्थान भेगां जणाव्यां. ... तपासेली लायब्रेरीओ. (१) के. प्रे मोदी पूर्ण. (२) पं. मेष विजयनो भंडार. अपूर्ण-(३) सूरत, अपूर्ण जैनानंद पुस्तकालय पूर्ण For Private And Personal Use Only

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