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सामायिक
सावघयोग सासादन -
सूक्ष्मत्व
संशय संक्रमण
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उद्धरण
नियत काल तक सब पापों का पूर्णतः
त्याग कर ध्यान करना।
सदोष कार्य आरम्भी प्रवृत्ति । सम्यक्त्व विराधना का काल । सम्यक्त्व से च्युत होकर मिध्यात्व को प्राप्त न होने तक के परिणाम। दूसरी गुणस्थान |
नामकर्म के अभाव में पैदा होने वाला सिखों का एक गुण ।
दो तरफ ढलता हुआ अनिश्चित ज्ञान । एक प्रकृति का अन्य प्रकृतिरूप हो जाना।
अकारादिहकारान्तं
अज्जवि तिरयणसुद्धा अनेकानि सहस्राणि
अबुधस्य बोधनार्थं
अरहंतो महदेवो
आज्ञा गर्गसमुद्भव आशागर्तः प्रतिप्राणि
इच्छा निरोधस्तपः
इतस्ततश्च त्रस्तो
इयं भक्तिः केवलभक्तिप्रधानस्य
एकत्वे नियतस्य
एकाग्रचिन्ता निरोधो ध्यानम्
एको रागिषु राजते
एवं जिणस्स रूवं
एतद्देवि परं तत्त्वं
परिशिष्ट - ३१०
संदी
एष एवाशेष द्रव्यान्तर
ॐ त्रैलोक्यप्रतिष्ठितान्
ॐ नमोऽर्हतो ऋषभाय कलिकाले महाघोरे
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परिशिष्ट - ३
* उद्धरण सूची
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स्कन्ध -
स्थावर -
स्पर्द्धक
स्थितिबंध
स्वरूपाचरण -
स्याद्वाद -
उद्धरण
कषायविषयाहारो
कार्यत्वादकृतं
कालनेमिर्महावीरः
मनसहित जीव। वह जीव जिसमें सोचने-विचारने की शक्ति है। पुद्गल परमाणुओं का समूह । पृथ्वी आदि पाँच प्रकार के जीव । वर्गणाओं का समूह।
कर्म का आत्मा के साथ रहने का काल ।
आत्मस्वरूप में विचरना ( लीन होना) स्वरूप में चरण करना स्वरूपाचरण है |
आपेक्षिक कथन । कथंचिद् उक्ति ।
कुच्छियदेव धम्मं
कुच्छियधम्मम्मि रओ
कुण्डासना जगद्धात्री
कुलादिबीजं सर्वेषां केणवि अप्पा वंचियउ
क्लिश्यन्तां स्वयमेव
क्षुत्क्षामः किल को पि
गुरुण भट्टा जाया यातुर्मास्ये तु सम्प्राप्ते
चिल्ला चिल्लीपुरमि
जस्स परिग्गहगहणं
जह कुवि वेस्सारत
जह जायरूवसरिसो
जह गवि सक्कमणिज्जो
जीवाजीवादीनां
जे जिणलिंगथरेवि
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