Book Title: Mohanlal Banthiya Smruti Granth
Author(s): Kewalchand Nahta, Satyaranjan Banerjee
Publisher: Jain Darshan Prakashan

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Page 292
________________ उपनिषदों की तरह पूजी जाती है । 'कृति रहे पर कर्ता न रहे' इस निरहंकार भावना से अनुप्राणित लाओस्ते के जीवन व कार्यो की ठीक-ठीक जानकारी नही मिलती पर उसकी कृति अमर है । इस रचना के बाद लाओत्से कहां चला गया, इसका कोई पता नहीं । ताओ धर्म में ईश्वर को असीम अग्राह्य, अचिन्त्य, अनाम, सरल एवं पूर्ण कहा गया है व तीन अनमोल चीजों से जनता को चिपके रहने की प्रेरणा दी गई है। वे हैं मार्दव, परिमितता एवं विनयशीलता । प्रेम की व्यापकता, पोषकता व श्रेष्ठता में विना महत्त्वाकांक्षा के समाहित सभी मानवीय गुणों के विकास में ताओ वाद का भारी योगदान रहा है। संत कांगफयूत्सी चीन में लू नामक प्रदेश में शाऊ वंश में ईसा से ५५१ वर्ष पूर्व इस महापुरुष का जन्म हुआ था । उन्नीस वर्ष की अवस्था में सरकारी भंडारी की नौकरी मिल गई । विवाह भी हो गया व एक वर्ष बाद पिता बन गए। नौकरी करते हुए भी वे इतिहास, कविता, संगीत आदि का अध्ययन करते व प्रतिदिन सायंकाल जिज्ञासुओं को समाधान देते। बाद मे वे अध्यापक बन गए व चौंतीस वर्ष की उम्र में विद्यालय खोला जिसमें तीन हजार विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त करते थे । ५२ साल के हुए तब लोगों ने इन्हे चुंगत का शासक बना दिया । इन्होने बड़ा अच्छा शासन किया व प्रजा अत्यन्त सुखी हूई । इनकी इस ख्याति से लु के राजा ने इन्हें अपराध-मन्त्री बना दिया । पर पड़ोसी राजाओं को इस राज्य की समृद्धि से ईर्ष्या हो गई। उन्होने राजा को भोग-विलास में फंसा दिया। कांगफयूत्सी राज्य छोड़ कर चले गए। तेरह साल भटकते रहे व जनता को उपदेश देते रहे । ७३ वर्ष को अवस्था में ईसा से ४७८ वर्ष पूर्व देहान्त हो गया। समूचे राष्ट्र में शोक मनाया गया। वर्षो तक इन्हें सम्मान मिला व आज भी है। दर्शन-दिग्दर्शन कांगफयूसी ने मानवीय गुणों पर सबसे अधिक जोर दिया। वे प्रजा, न्याय, सरलता सबके हित, सबके कल्याण, सदवृत्ति के विकास पर बल देते थे। उनकी पांच मुख्य बातें है, प्रेम, न्याय, नम्रता, विवेक, ईमानदारी । उनके धर्म का मूल सूत्र है - "तुम्हें जो चीज नापसंद हे वह दूसरे के लिए हर्गिज न करो।" उन्होने पांच गुणो के विकास पर अत्यधिक प्रचार किया - (१) जेन (सद आचार) (२) चुन जू (सदव्यवहार) (३) ली (विवेक) ( ४ ) ते (नैतिक साहस, प्रमाणिकता, (५) बेन (उदारता, दया)। चीन की संस्कृति एवं विचारधारा को सर्वाधिक प्रभावित करने वालों में कांगपत्सी का नाम सर्व-शिरोमणि है । Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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