Book Title: Meri Bhavna Author(s): Jugalkishor Mukhtar Publisher: Veer Seva Mandir Trust View full book textPage 15
________________ 13 । मेरी भावना मैत्री भाव जगत् में मेरा, सब जीवों से नित्य रहे । दीन दुखी जीवों पर मेरे, उर से करुणा स्रोत हे । दुर्जन- क्रूर - कुमार्ग रतों पर, क्षोभ नहीं मुझको आवे | साम्यभाव रक्खूँ मैं उन पर, ऐसी परिणति हो जावे ॥ 5 ॥ 13Page Navigation
1 ... 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28