Book Title: Manusmruti
Author(s): J R Gharpure
Publisher: J R Gharpure

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Page 23
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अध्यायः ] विषयानुक्रमणिका। १७७ ५३९ १७८ ५४० १७९ ५४० १८० ५४१ आसनम् द्वैधम् संश्रयः संधिकाल: विग्रहकाल: तदायानम् आसनार्हता द्वधकालः संश्रयाहता दुष्टे संश्रये संश्रयदोषलिङ्गानि शक्तित्रयेण नाभ्यधिकमित्रः स्यात् तत्त्वत आयत्यादिविमर्शनम् असौ नाभिभूयते विजये संविधानम् अरिराष्ट्रयानोपक्रमः यथाबलं यानकाल: अवश्यंभाविनि जये रिपोर्व्यसने च । मूलरक्षासंविधानादि सांपरायिककल्पमार्गबलशोधनादि कष्टतररिपुप्रकारः दण्डादयो व्यूह्याः बलविस्तारः पद्मव्यूहश्च सेनापतिबलाध्यक्षौ यतो भयं ततः प्राची प्रकल्पनम् गुल्मस्थापनम् अल्पबहुयोधनव्यूहः राजा भिन्नसंधानार्थमिति मीमांसनम् रथाश्वादिक्लप्तिदेशाः अग्रानीक योग्योदाहारः अपि योधयतां चेष्टाज्ञानादि बलहषर्णम् १६७ ५३७ उपरुध्यासनम् १९६ ५४६ १६८ ५३८ तडागभेदनादि १९७ ५४६ १६९ ५३८ उपजप्योपजापादि १९९ ५४७ १७० ५३८ उपरोधे सामदानादि १९९ ५४७ अनित्यो विजयो युद्धे २०० ५४७ १७२ ५३९ संपनो युध्येत । २०० ५४७ १७३ ५३९ जयोत्तरमभयख्यापनादि २०२ ५४८ १७४ ५३९ पौरेच्छया तद्वेश्यस्थापनं समयक्रिया च २०३ ५४८ १७६ ५३९ | प्रमाणकरणादि २०४ ५४८ अभीप्सितार्थदानं कालेषु युक्तम् २०५ ५४८ १७७ ५४० दैवमानुषे विधाने कर्मायत्तमिति २०६ ५४९ दैवयुतं पौरुषमर्थसाधकमिति २०७ ५५१ | दैवपुरुषकारयोः फलदाने शक्तत्वमिति २०८ ५५१ १८१ ५४१ संधिं कृत्वा सहयाने २१० ५५१ १८२ ५४१ मित्रम् २१३ ५५२ १८३ ५४१ २१४ ५५२ १८४ ५४२ उदासीनः २१५ ५५२ १८५ ५४२ बहुगुणवद्भमित्यागविचारः २१६ ५५२ १८६ ५४२ आत्मानं रक्षेदिति २१७ ५५२ १८७ ५४३ आपदां सहसमुत्थाने २१८ ५५३ ૧૮૮ ૫૪૩ सर्वोपायसमाश्रयणम् २१९ ५५३ १८९ ५४४ अथ मध्याह्न इति कर्म २२० ५५४ १९० ५४४ अभ्यवहारः २२१ ५५४ १९० ५४४ विषघ्नयोजना २२२ ५५४ १९१ ५४४ परीक्षिताः परिचारिकाः १९२ ५४५ प्रयत्नेक्षितं उपबहः २२४ ५५५ १९२ ५४५ यथासुखं कालविहारः २२५५५५ १९३ ५४५ आयुधीयादिदर्शनम् २२६ ५५५ १९४ ५४५ प्रणिधिचेष्टाश्रवणम् २२७ ५५५ १९५ ५४६ | प्रणिधिविसर्जनमन्तःपुरप्रवेशश्च २२८ ५५५ १९५ ५४६ / भृत्येषु कार्यप्रतिविधानम् २३० ५५६ अष्टमोऽध्यायः॥ ८॥ अरिः bia कार्यदर्शनोपक्रमः सभाप्रवेशः अन्येषामप्यस्त्येव राज्येऽधिकारः १ ५५७ प्रजैश्वर्य हि राज्यम् १ ५५७ | सह व्यवहारदर्शनम् १ ५५० कार्यदर्शने विनयोदाहारः ५ ५५८ For Private And Personal Use Only

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