Book Title: Manusmruti
Author(s): J R Gharpure
Publisher: J R Gharpure
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२०
असाक्षिकेषु शपथालम्भनमिति
शपथप्रामाण्यम् वृथाशपथ निषेधः
अत्र शपथे पातकं नेति
वर्णशः शपथाः अग्न्याहरणादि शुचिस्वरूपम्
अग्निशपथेतिहासः
शपथानां मिथ्यास्वं नेति साक्ष्यकार्य निवर्त्तेत
मैत्रादिभिः साक्ष्यं वितथम्
अमृतसाक्ष्ये दण्डविशेषः बालिश्यादनृतसाक्ष्ये दण्डः कौसाक्ष्ये दण्डविवासने दश दण्डस्थानान्युपस्थादीनि अनुबन्धाद्यवेश्य दण्ड इति
अदण्डपदण्ड
दण्डचतुष्टयम्
लिक्षादिसंज्ञोपक्रमः
लिक्षात्रसरेणु - गौरसर्षपलक्षणानि व-कृष्णसुवर्णाः
पल-धरणे
कार्षापणादयः
प्रथममध्यमोत्तमसाहसस्वरूपम् देयापह्नवयोर्दण्डः
नीतिः सृष्टिकालप्रभृतिव्यवस्था
वसिष्ठविहिता वृद्धिः
द्विशतिका वृद्धिः
वर्णशो मासवृद्धिः
सोपकार आधौ न कौसीदी आधिभेदाः
आधेर्निसर्गसर्गविक्रयो नेति निसर्गशब्दार्थः
द्विगुणे प्रविष्टे धने आधिर्मोच्यः राशि निवेद्याधिर्विक्रेयः
भोग्याधेर्बादुपभोगे आयुपनिभ्योः कालात्यये
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विषयानुक्रमणिका ।
पू. पं.
११० ६१० उपनिधिः
१११६११ | संप्रीत्या स्वाम्यहानिर्धेन्वादिषु न
११२ ६११ | दशवर्षोपभोगे
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११७ ६१३
११७ ६१४ भोगप्रामाण्यमीमांसा
११३६११ प्रेक्षणं ज्ञेयतामात्रम्
११४ ६१२ | ज्ञात्त्यादिभ्योऽन्यत्रोपेक्षितो भोगः स्वाम्यकारणम्
११५ ६१२
१४८ ६२४
११६६१३ | जडबालाद्यसमर्थधनेषु नोऽपभोगः स्वाम्यकारणम्
१४९ ६२४
[ अष्टमः
११८ ६१४ | दशवार्षिकी मर्यादा
११९ ६१४ विंशतिवार्षिकी मर्यादा भोगे
पृ. पं.
१४६ ६२२
१४७ ६२३
१४८ ६२३
१४८ ६२४
१४९ ६२५
१४९ ६२५
१४९ ६२५
१४९ ६२५
१२० ६१४ | त्रिपुरुषभुक्तिः
१२२ ६१५ चिरन्तनोपभोगः स्वत्त्वज्ञापकः न कारक इति १४९ ६२५
१४९ ६२५
१३४ ६१८ | अननुज्ञाताधिभोगे
१३५ ६१८ | कुसीदवृद्धौ द्वैगुण्यक्रमो नेति १३६ ६१९ | धान्यादिषु पञ्चतातिक्रमो नेति १३७ ६१९ | द्विगुणधनप्रवेशमीमांसा १३९ ६१९ | द्विगुणे धने प्रविष्टे आधिर्मोच्य इति
१४० ६१९ | वृद्धिभेदाः १४० ६२० | द्वैगुण्यमीमांसनम्
१४१ ६२० | करण परिवर्तने द्वैगुण्यविचारः १४२ ६२० | पुरुषान्तरसंचारे द्वैगुण्यविचारः
१४३ ६२० | अशास्त्रीय वृद्धौ न सिद्धिः १४४ ६२१ वृद्धिनियमनम् १४४ ६२१ | अतिसांवत्सरी वृद्धिति १४४ ६२१ | कृत-काल-वृद्धिदापने १४४ ६२१ अनुपचिता वृद्धिति १४४ ६२१ |चक्रवृध्यादयो नेति १४४ ६२१ | चक्रवृद्धिमीमांसनम् १४६ ६२२ | कान्तारसामुद्रवृद्धी १४५ ६२२ करणपरिवर्तनम्
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१२४ ६१५ अनागमप्रकाराः
१४९ ६२६
१२६ ६१६ स्थावरेषु भोगस्य विशेषतः प्रामाण्यम् १२७ ६१६ | बन्धसिद्धौ स्वल्पोऽपि भोगः प्रमाणम् १४९ ६२६ १२८ ६१६ | विभागसमीकरणे विंशतिवार्षिकी मर्यादेति १४९ ६२६ १२९ ६१७ | स्मृतिविरोधे व्यवस्था
१४९ ६२७
१३० ६१७ | चिरन्तपभोगो विशंतिभोगेन बाध्यते
१४९ ६२७
१३१ ६१७ | आध्यादिषु
१५० ६२७
१५१ ६२८
१५२ ६२९
१५२६२९
१५२ ६२९
१५२ ६२९
१५२६२९
१५२ ६३०
१५२ ६३०
१५२ ६३०
१५३ ६३१
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