Book Title: Manav Bhojya Mimansa Author(s): Kalyanvijay Gani Publisher: Kalyanvijay Shastra Sangraha Samiti View full book textPage 5
________________ भूमिका भारतीय धार्मिक तथा व्यावहारिक शास्त्रों में मानव-जाति का आहार क्या होना चाहिए, इस विषय की विचारणा अतिपूर्व काल से ही होती आरही है। जैन सिद्धान्त, वेद, धर्मशास्त्र, पुराण, विविध स्मृतियाँ इस विचारणा के मौलिक आधार ग्रंथ हैं । आयुर्वेद शास्त्र, उसके निघण्टु कोश तथा पाकशास्त्र भी मानवजाति के आहार के विषय में पर्याप्त प्रकाश डालने वाले ग्रन्थ हैं, परन्तु इस विषय की खोज करने का समय तभी आता है, जबकि मानव के भोजन योग्य पदार्थों के सम्बन्ध में दो मत खड़े होते हैं । अनादि काल से मानव दूध, घी तथा वनस्पति का भोजन करता आया है, फिर भी इसके सम्बन्ध में विपरीत विचार उपस्थिति हुए हैं, तत्कालीन विद्वानों ने अपने अपने ग्रन्थों में भोजन सम्बन्धी' नवीन मान्यता का खण्डन किया है। आज से लगभग चार वर्ष पूर्व "भगवान् बुद्ध” नामक एक मराठी पुस्तक का हिन्दी भाषान्तर छपकर प्रकाशित हुआ, तब से जैन तथा सनातन धर्मी संप्रदायों में इस पुस्तक के विरोध में सर्व व्यापक विरोध की लहर उमड़ पड़ी, कारण यह था कि इसके एक अध्याय में तीर्थङ्कर महावीर, जैन श्रम तथा याज्ञवल्क्यादि महर्षियों पर मांस भक्षण का आरोप लगाया गया था, फलस्वरूप पुस्तक प्रकाशक "साहित्य एकेडेमी" पर चारों ओर से सभा GAPage Navigation
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