Book Title: Manav Bhojya Mimansa
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: Kalyanvijay Shastra Sangraha Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 10
________________ [ च ] करने में बुद्ध ने प्रतिबन्ध नहीं लगाया था, फिर भी अधिकांश भिन्नु इन चीजों से दूर ही रहते थे। मौर्य सम्राट अशोक के राज्याभिषेक तक व्यक्तिगत रूप से बहुतेरे भिक्षु आचार मार्ग से पतित हो चुके थे। फिर भी बौद्ध धर्म के प्रतिष्ठित प्राचार्य तथा भिक्षु गण बुद्ध के उपदेशानुसार अहिंसा धर्म के ही प्रतिपालक तथा उपदेशक रहे थे, बौद्ध-संघ में व्यापक मांसाहार का प्रचार इस धर्म का चीन देश में प्रचार होने के बाद हुआ । परिणामस्वरूप भारतीय जनता का बौद्ध धर्म से विश्वास हटता गया, और इस धर्म को धीरे धीरे भारत राष्ट्र से विदा लेनी पड़ी। उपर्युक्त "मानव भोज्य मीमांसा" का संक्षिप्त सार है । विशेष विवरण इसकी विषयानुक्रमणिका में देखिए । मीमांसा में जिन जिन वैज्ञानिक विद्वानों तथा ऋषि-मुनियों के मत के प्रमाण दिए गये हैं, उनके नामों की तथा जिन जिन आगमों, धर्मशास्त्रों, स्मृतियों तथा अन्यान्य ग्रन्थों के उद्धरण इस प्रन्थ में दिए गये हैं, उन ग्रन्थों की नाम-सूची भी आगे दी गई है। .. प्रन्थ का मुद्रण कार्य जयपुर के एक जैन विद्वान् के मारफत शुरू करवाया था, आशा थी कि कार्य जल्दी सुचारु रूप से संपन्न होगा, परन्तु खेद है कि निरीक्षक विद्वान् की शारीरिक अस्वस्थता तथा फूफ देखने वाले की असावधानी से ग्रन्थ में सम्पादन संबंध'

Loading...

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 ... 556