Book Title: Manav Bhojya Mimansa
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: Kalyanvijay Shastra Sangraha Samiti

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Page 16
________________ दोपस्थापना नूतन श्रमण का मण्डली प्रवेश बाल श्रमणों को उपदेश जैन निर्मन्थों का सामान्य आचार जैन श्रमणों की ओघ ( समाचारी ) इच्छाकार मिथ्याकार. हत्ति (तथाकार ) आवस्सिडी (आवश्यकी ) निस्सिही ( नैषेधिका ) आपुच्छरणा ( आपृच्छा ) पडिपुच्छा ( प्रतिपृच्छा ) छंद (छंदना ) निमतणा (निमन्त्रणा ( ४ ) उवसंपया (उपसंपदा ) जैन श्रमणों का विहार क्षेत्र विहारचर्या प्रतिस्रोतगमन जैन श्रमण की उपध श्रोघोपधि जिन कल्पित श्रमणों का द्वैविध्य स्थविर कल्पिक की उपधि २२७ २२८ २२६ २३०. २३५ २३५ २३६ २३६ २३६ २३६ २३७ २३७ ३३७ २३७ २३८ २३८ २४२ २४३ २४५ २४८ २४६ २५०

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