Book Title: Manav Bhojya Mimansa Author(s): Kalyanvijay Gani Publisher: K V Shastra Sangrah Samiti Jalor View full book textPage 7
________________ [ ख ] सोसायटियों द्वारा विरोध के प्रस्ताव पत्रों तारों द्वारा पहुंचने लगे, प्रतिनिधि मण्डलोंने अधिकारियों से मिल मिलकर इस पुस्तक से उत्पन्न परिस्थिति को समझाकर इसके अन्तर्गत मांस भक्षण सम्बन्धी प्रकरण को पुस्तक से हटा देने का अनुरोध किया, परिणाम स्वरूप एकेडेमी के कर्णधारों ने यह आश्वासन दिया कि मांस भक्षण के सम्बन्ध में जैन विद्वानों के अभिप्रायों का नोट लगवा दिया जायगा, तथा इस पुस्तक का पुनः प्रकाशन रोक दिया जायगा। एकेडेमी के उपयुक्त आश्वासन से जो कि विरोध की लहर बाहर से शान्त हो गई, परन्तु जैनों तथा ब्राह्मण-ऋषियों के पूजने वाले सनातन धर्मियों का मानसिक असन्तोष अब भी उसी प्रकार से बना हुआ है, जिसका कारण यह है कि एकेडेमी के स्वीकार करने पर भी वर्षों तक उस प्रकरण के साथ नोट नहीं लगा, न एकेडेमी के सिवा अन्य संस्था अथवा व्यक्ति उस पुस्तक को प्रकाशित करे, तो उसे रोकने की कोई व्यवस्था ही सूचित की गई, इस दशा में "भगवान बुद्ध" पुस्तक के सम्बन्ध में उच्चवर्णीय हिन्दुओं और जैनों का विरोध अब भी पूर्ववत् खड़ा ही है। इस पुस्तक के विरोध में तथा मांस-भक्षण सम्बन्धी उल्लेखों का समन्वय करने के लिए 'स्थानकवासी पूज्य आचार्य श्री आत्मारामजी महाराज ने एक छोटीसी पुस्तिका लिखकर प्रकाशित करवाई, तथा इसी संप्रदाय के मुनि श्री सुशीलकुमारजी ने भी एक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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