Book Title: Mahavira ka Swasthyashastra
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 10
________________ और है आत्मस्थ जिसका विशुद्ध है अध्यवसाय पवित्र है चित्त का व्यवसाय विधायक भावों का आलय निर्मल लेश्या और आभावलय । स्वास्थ्य का यह अद्भुत रहस्य बनता है जीवन स्वतः प्रशस्य बढ़ती है आत्मा की निर्मलता अध्यवसाय और भावों की पवित्रता आभामंडल और लेश्या की विशुद्धि सुमन अथवा अमन की उपलब्धि शरीर पर उतरने वाले रोगों का क्षरण सर्वांगीण स्वास्थ्य का अवतरण । प्रस्तुत है महाप्रज्ञ का मौलिक सृजन योग से पाएं स्वस्थ जीवन रोग - चिकित्सा के अभिनव प्रकल्प नई विधियां नए विकल्पभाव और आभामंडलीय चिकित्सा रंग और गंध चिकित्सा रस और स्पर्श चिकित्सा शब्द और चिन्तन चिकित्सा यदि चले अनुसंधान और अन्वेषण सघन प्रयोग और प्रशिक्षण अध्यात्म-मनीषी के ये विचार खोलेंगे चिकित्सा क्षेत्र में नए द्वार । आगम की सूत्रात्मा महाप्रज्ञ की अर्थात्मा प्राचीन संदर्भ अर्वाचीन भाषा स्वास्थ्य की अपूर्व मीमांसा पढें महावीर का स्वास्थ्य-शास्त्र Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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