Book Title: Mahavira Vani Part 1
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 517
________________ विनय शिष्य का लक्षण है वर्ष की तो बात है, और जितना मैंने खजाने से मार दिया, उतना पंद्रह वर्ष नौकरी करके भी तो नहीं मिल सकता था। और पंद्रह ही वर्ष की तो बात है फिर बाहर आ जाऊंगा। और इतना मार दिया है कि पीढ़ी दर पीढ़ी बच्चे मजा करें। कोई ऐसी चिंता की बात नहीं। फिर यहां भी ऐसी क्या तकलीफ! मंत्रियों ने कहा, 'बड़े पागल हो, सड़क पर कोड़े खाये।' उस आदमी ने कहा, 'बदनामी भी हो तो नाम तो होता ही है। कौन जानता था हमको पहले। आज सारी दिल्ली में अपनी चर्चा आज इतना ही। पांच मिनट रुकें, कीर्तन करें। 503 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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