Book Title: Mahavira Vani Part 1
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 547
________________ मत्र _ नमोकार की जैन सांगरा में महामंत्र। कहा है। पृथ्वी पर तम पाच ऐसे मंत्र है जो 'नमोकार की हैसियत के हैं। असल में प्रत्येक धर्म के पास एक महामंत्र अनिवार्य है, क्योंकि उसके इर्द-गिर्द ही उसकी सारी। 'व्यवस्था, सारा भवन निर्मित होता है।। ये महामंत्र करते क्या हैं, इनका 'प्रयोजन क्या है, इनसे क्या फलित हो। सकता है? मंत्र आभामंडल को बदलने की। आमूल प्रक्रिया है। आपके आसपास की। 'स्पेस, और आपके आसपास का। 'इलेक्ट्रोडायनेमिक फील्ड बदलने की प्रक्रिया है। और प्रत्येक धर्म के पास एक महामंत्र है। जैन परंपरा के पास नमोकार है। महामंत्र स्वयं के आसपास के आकाश को, स्वयं के आसपास के आभामंडल को बदलने की कीमिया है। और अगर कोई व्यक्ति दिन-रात, जब भी उसे स्मरण मिले। तभी नमोकार में बता रहे तो वह व्यक्ति दसरा ही व्यक्ति हो जाएगा। वह वही व्यक्ति नहीं रह सकता जो होता है।। विश्व के किसी धर्म ने ऐसा महामंत्र। इतना सर्वांगीण, इतना सर्वस्पर्शी मंत्र विकसित नहीं किया है। यह मंत्र अनूठा है, बेजोड़ है। नमोकार नमन का सूत्र है। यह पांच चरणों में है। समस्त जगत में जिन्होंने भी कछ। पाया है, जिन्होंने भी कछ जाना है, जिन्होंने भी कछ जीया है, जो जीवन की अंतर्तम गढ़। रहस्य से परिचित हुए हैं, जिन्होंने मृत्यु पर। विजय पाई है, जिन्होंने शरीर के पार कछ। 'पहचाना है-उन सबके प्रति नमस्कार। इस 'नमन के बाद ही इस झकने के बाद ही। आपकी झोली फैलेगी और महावीर की। संपदा उसमें गिर सकती है। ओशो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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