Book Title: Mahavira Prabandh Kavyo ka Adhyayana
Author(s): Divyagunashreeji
Publisher: Vichakshan Prakashan Trust

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Page 15
________________ 12 राजनीतिज्ञता, देशदर्शन, ( प्राकृतिक सौन्दर्य), अतीत भारती का चित्रण, जागरण गीत, अभियान गीत, वर्तमान भारत का चित्रण, राष्ट्रीय स्वाभिमान की कमी। प्रबंधो के आधार पर युगीन परिस्थितियों का अंकन महावीरकालीन परिस्थितियाँ : राजनीतिक परिस्थितियाँ, सामाजिक- विवाह के विविध प्रकार, बाल विवाह, बहुपति और बहुपत्नीप्रथा, विधवा विवाह, सतीप्रथा और जैन धर्म, गणिकायें एवं वेश्याएँ, परदा प्रथा । धार्मिक और आर्थिक परिस्थिति । (क) प्रबंधो में नारी भावना : महावीरकालीन नारी- स्थिति, नारी - उत्थान । (ड) प्रबंधों में प्रकृति-चित्रण : जन्म के पूर्व की, जन्म के समय, उपसर्गो के समय, केवलज्ञान के समय, वन में पदार्पण और निर्वाण के समय । के समय, (इ) प्रबंधो में रस- दर्शन : शान्तरस, श्रृंगाररस, वात्सल्यरस, करुणरस, रौद्ररस और भयानक रस आदि । (ई) अतिशय: जन्मातिशय, केवलज्ञानातिशय और देवातिशय । चतुर्थ अध्याय : प्रबंधों का कलापक्ष प्रबंधो की भाषा : शब्दशक्ति - अभिधा, लक्षणा और व्यंजना । शब्द - तत्सम, तद्भव, देशज, विदेशी, मुहावरें और कहावतें । छन्द - मात्रिक और वर्णिक । पृ. २०५-२७५ मात्रिक - चोपाई, पादाकुलक, राधिका, रोला, सार, चतुष्पदी त्रिभंगी और दोहा आदि । वर्णिक - वंशस्थ, द्रुतविलम्बित, मालिनी और शार्दूलविक्रीडत आदि । अलंकार - उपमा, रूपक, अतिशयोक्ति, स्वभावोक्ति, संदेह, व्यतिरेक, दृष्टान्त और उदाहरण । Jain Education International अनुप्रास, For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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