Book Title: Mahavira Jayanti Smarika 1975
Author(s): Bhanvarlal Polyaka
Publisher: Rajasthan Jain Sabha Jaipur

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Page 429
________________ देते रहे हैं। श्री विमलचंद जी सुराणा, श्री हरिश्चंद जी बडेर, उत्तमचंद जी सेठिया मादि से जो सहयोग मिला है वह स्मरणीय रहेगा। श्री प्रवीणचन्द छावड़ा, प्रेमचन्द जी छाबड़ा, हरिशचंद जी गोलछा, तेजकरण जी डंडिया तथा अन्यान्य कला मण्डलो व मण्डलियो ने हमारे को सफल बनाने में जो योगदान दिया प्रशसनीय है । महिला कार्यकत्रियों में श्रीमती प्रभा शाह व कुमारी विमला बाठिया का सहयोग महत्वपूर्ण रहा । हमारे जुलूसों में तेरापंथी महिला मण्डल की सदस्यानों ने भाग लेकर जयपुर के इतिहास में एक महान कार्य किया और महिलाओं के लिए जुलूस में शरीक होने का रास्ता प्रशस्त किया । शिवजी राम भवन, प्रात्मानंद सभा भवन, बड़ा दीवान जी मंदिर, लाल भवन, ग्रीन हाऊस महावीर विद्यालय हाल, टोडरमल स्मारक, मादर्श नगर जैन मंदिर, प्रेमप्रकाश सिनेमा व रामलीला मैदान में हमारे प्रायोजन होते रहे हैं। सभी संबंधित अधिकारियों को मैं धन्यवाद देना चाहता हूं। स्वयं सेवक व्यवस्था हेतु वीर सेवक मण्डल के सदस्यगण बधाई के पात्र हैं। टांक साहब के यहां रहने वाला नाई भंवरलाल तथा राजस्थान जैन सभा के कर्मचारी श्री बल्लभशम को मारी जैन समाज के घर-घर जाकर हमारे प्रोग्रामों के लिए ग्राम लिए विशेष रूप से धन्यवाद का पात्र मानता हूँ। श्री भागचंद जी जैन ने हमेशा माईक की बड़ी सुन्दर व्यवस्था की है। और अंत में मैं स्मारिका के सभी सम्पादकों विशेष कर श्रीभंवरलालजी पोल्याका एवं हमारे प्रबंध सम्पादक द्वय के प्रति विशेष आभार प्रदर्शित करना चाहता हूँ। मुनि श्री विशाल विजय जी, मुनि श्री जयानंदन, क्षुल्लकजी"...." साध्वी श्रीसूरजकंवरजी, कमलश्री जी एवं कौशल्या श्रीजी पिछली दीवाली पर विशेष सानिध्य मिला जिसकी हमें प्रसन्नता है। इस वर्ष प्राचार्य श्री तुलसी व साध्वी श्री विचक्षण श्री जी व श्री सजन श्री जी, जेसी दिग्गज प्रतिभाओं का सानिध्य हमें प्राप्त हुआ है एतदर्थ हम गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। कार्यालय के कार्य सम्पादन में श्री मदन मोदो एवं श्री भंवर लाल पारख का जो सहयोग मिला है उसे मैं भूल नहीं सकता। हजारों-हजारों मानव मेदनी का हमें प्यार, सम्मान व सहयोग मिला है। उस सबके लिए मैं महासचिव की ओर से उन सबके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं और प्राशा करता हूँ कि भगवान महावीर का संदेश और उपदेश फैलाने में, आत्मसात् करने में जो उत्साह व सहयोग सबने दिवाया वह हमेशा के लिए चिरस्थायी रहेगा। (सम्पत कुमार गधइया) जय बोरम् "श्री वृद्धि" टी.-38 सुभाष मार्ग, सी स्कीम, जयपुर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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