Book Title: Mahavira Jayanti Smarika 1975
Author(s): Bhanvarlal Polyaka
Publisher: Rajasthan Jain Sabha Jaipur

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Page 440
________________ महासमिति के संयोजक जमीन प्राप्त करने के लिये नगर विकास न्यास को प्लान प्रेषित कर जमीन प्राप्त करने की कार्यवाही करावें ।' राजकीय यह प्रेरणा व प्रोत्साहन प्रत्यन्त ही सराहनीय है। यह स्मारक पूर्ण रूप से दस लाख की परियोजना हो सकती है। 6. जैनोलोजी चेअर, उदयपुर विश्वविद्यालय -- ___ अखिल भारतीय स्थानक वासी साधुमा संघ मीकानेर ने जैन विभाग उदयपुर विश्वविद्यालय में स्थापित करने के लिये दो लाख हाये का अनुदान देना निश्चित किया था। किन्ही कारणों से शिथिलता मा जान पर, महासामति ने मिण वर्ष के उपलक्ष में नैतिक समर्थन दिया। राज्य सरकार ने एक लाख रुपये का अनुद न दि.20 मार्च 1975 की राजस्थान प्रान्तीय समिति की बैठक में घाषण. को। श्री साधूम. समाज निसका पैतृक योगदान है । वह दो लाख रुपये शीघ्र ही विश्वविद्यालय को जमा कराने में प्रत्यत्न शील है। तब राज्य सरकार से तत्काल एक लाख रुपये का अनुदान प्राप्त हो सकेगा। विश्वविद्यालय में जैन विभाग स्वतन्त्र रूप से स्थापित होगा जिसमें एक प्रोफेसर व शोध विद्यार्थी होगें। पोर शोर कार्य को प्राथमिकता दी जायेगी। सम्भव है शिक्षण की व्यवस्था भी प्रारम्भ की जा सके। यह प्रश्न माननीय उपकूलपति महोदय डा०पी० एस० लाम्बा साहब के विचा-1. धीन होगा । डा० ल म्बा साहब ने जैन चे पर स्थापित करन में बड़ी सहृदयता प्रकट की। जैन समाज प्रामारी है। श्री साधुमार्गी समाज का एक ऐतिहासिक दे। हागी जो विस्मृत नहीं की जा सकेगी, आदरणीय श्री गणपाराज जी बोहरा का आर्थिक योगदान विशेष उल्लेखनिय है, जिनका सार्वजनिक अनिन दन है, इस कार्य में प्रमुत निष्ठा विद्वान श्रा हिम्मतसिंह जी स्वरूपरिया की रही है, साथ में म • मा० बलवन्तसिंह जी मेहता का उत्साह भी उतना हो सराहनीय है। 7: विकलांग सहायता समिति राजस्थान शाखा उदयपुर __राज्य सरकार व प्रान्तीय समिात ने विकलांग सहायता कार्य की संस्था स्थापित कर भगवान महावीर को सच्ची श्रद्धाजली अर्पित की है। राज्य सरकार का दो लाख रुपये का अनुदान, दि. 3 अगस्त की सभा में एक लाख रुपये का तत्काल चन्दा रोटेरी क्लब तथा श्री वर्द्धमान श्रावक सघ के विशेष प्राधिक सहयोग ने इस समिति में जान फूंक दी । राष्ट्रीय रूपाति प्राप्त डा. पी. के. सेठी ने अपनी सेवायें सहर्ष समर्पित की हैं। उदयपुर भी इस प्रोर शीघ्रता से सहयोग प्रदान करने में संलग्न है । शहर के धनी मानी दानी सज्जनों ने उदारता से हाथ बंटाया है, अब तक काफी संरक्षक व साधारण जीवन सदस्य बन चुके हैं। शिष्ट मण्डल के एक सप्ताह के प्रयास से बारह हजार रुपये की राशि उपलब्ध हो चुकी है। श्री सोहनलालजी हिंगड़, श्री कन्हैयालालजी टाया, श्री महावीर प्रसादजी मिंडा, श्री हजारीमलजी कारवा तथा श्री संयोजक इस कार्य में यथा शक्ति लगे हुए हैं। 8. अन्य कार्य१फतहपुरा में श्री स्थानकवासी समाज द्वारा पच्चास हजार की लागत से एक स्थानक बनाने की योजना प्रारम्भिक अवस्था में है। इसमें सम्भवतः शिक्षण प्रवृति भी चलेगी। भूपालपुरे में इस वर्ष स्थानकवासी समाज द्वारा स्थानक निर्मित हो चुका हैं। ताकि धार्मिक प्रवृति को बल मिलेगा। श्री, श्वे. मूर्तिपूजक समाज चार लाख रुपये की राशि से माध्यमिक शाला निर्माण करने की परिकल्पना रखता है और हाथीपोल की धर्मशाला के पास जमीन भी निश्चित करली है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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