Book Title: Mahabharat Samhita Part 01
Author(s): Bhandarkar Oriental Research Institute
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute

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Page 16
________________ 1. 1. 118 ] महाभारते [1. 1. 133 यस्येमां गां विक्रममेकमाहु स्तदा नाशंसे विजयाय संजय // 118 यदाश्रीषं कर्णदुर्योधनाभ्यां बुद्धिं कृतां निग्रहे केशवस्य / तं चात्मानं बहुधा दर्शयानं ___ तदा नाशंसे विजयाय संजय // 119 यदाश्रोषं वासुदेवे प्रयाते रथस्यैकामग्रतस्तिष्ठमानाम् / आतां पृथा सान्त्वितां केशवेन तदा नाशंसे विजयाय संजय // 120 यदाश्रौषं मन्त्रिगं वासुदेवं तथा भीष्मं शांतनवं च तेषाम् / . भारद्वाजं चाशिषोऽनुब्रुवाणं तदा नाशंसे विजयाय संजय // 121 यदाश्रीषं कर्ण उवाच भीष्म नाहं योत्स्ये युध्यमाने त्वयीति / हित्वा सेनामपचक्राम चैव तदा नाशंसे बिजयाय संजय // 122 यदाश्रीषं वासुदेवार्जुनौ तौ तथा धनुर्गाण्डिवमप्रमेयम् / त्रीण्युप्रवीर्याणि समागतानि तदा नाशंसे विजयाय संजय // 123 यदाश्रीषं कश्मलेनाभिपन्ने रथोपस्थे सीदमानेऽर्जुने वै / कृष्णं लोकान्दर्शयानं शरीरे तदा नाशंसे विजयाय संजय // 124 यदाश्रीषं भीष्मममित्रकर्शनं . निघ्नन्तमाजावयुतं रथानाम् / नैषां कश्चिद्वध्यते दृश्यरूप स्तदा नाशंसे विजयाय संजय / / 125 / यदाश्रीषं भीष्ममत्यन्तशूरं __ हतं पार्थेनाहवेष्वप्रधृष्यम् / शिखण्डिनं पुरतः स्थापयित्वा तदा नाशंसे विजयाय संजय // 126 यदाश्रौषं शरतल्पे शयानं वृद्धं वीरं सादितं चित्रपुकैः। . भीष्मं कृत्वा सोमकानल्पशेषां स्तदा नाशंसे विजयाय संजय // 127 यदाश्रौषं शांतनवे शयाने पानीयार्थे चोदितेनार्जुनेन। .. भूमि भित्त्वा तर्पितं तत्र भीष्म तदा नाशंसे विजयाय संजय // 128 यदाश्रौषं शुक्रसूर्यों च युक्तो कौन्तेयानामनुलोमौ जयाय / नित्यं चास्माञ्श्वापदा व्याभषन्त स्तदा नाशंसे विजयाय संजय // 129 यदा द्रोणो विविधानस्त्रमार्गा विदर्शयन्समरे चित्रयोधी। न पाण्डवाश्रेष्ठतमान्निहन्ति तदा नाशंसे विजयाय संजय // 130 यदाश्रीषं चास्मदीयान्महारथा___ व्यवस्थितानर्जुनस्यान्तकाय / संशप्तकान्निहतानर्जुनेन तदा नाशंसे विजयाय संजय / / 131 यदाश्रीषं व्यूहमभेद्यमन्यै- . र्भारद्वाजेनात्तशस्त्रेण गुप्तम् / भित्त्वा सौभद्रं वीरमेकं प्रविष्टं तदा नाशंसे विजयाय संजय // 132 यदाभिमन्यु परिवार्य बालं सर्वे हत्वा हृष्टरूपा बभूवुः /

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