Book Title: Mahabharat Samhita Part 01
Author(s): Bhandarkar Oriental Research Institute
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute
View full book text ________________ 1. 1. 103 ] आदिपर्व [1. 1. 118 इन्द्रप्रस्थं वृष्णिवीरौ च यातौ तदा नाशंसे विजयाय संजय // 103 यदाऔषं देवराज प्रवृष्टं शरैर्दिव्यैर्वारितं चार्जुनेन / अनिं तथा तर्पितं खाण्डवे च तदा नाशंसे विजयाय संजय // 104 यदाीषं हृतराज्यं युधिष्ठिरं पराजितं सौबलेनाक्षवत्याम् / अन्वागतं भ्रातृभिरप्रमेयै स्तदा नाशंसे विजयाय संजय // 105 यदाश्रौषं द्रौपदीमश्रुकण्ठी . सभां नीतां दुःखितामेकवस्त्राम् / रजस्वलां नाथवतीमनाथव त्तदा नाशंसे विजयाय संजय / / 106 यदाश्रौषं विविधास्तात चेष्टा धर्मात्मनां प्रस्थितानां वनाय / ज्येष्ठप्रीत्या क्लिश्यतां पाण्डवानां . तदा नाशंसे विजयाय संजय // 107 यदाश्रीषं स्नातकानां सहस्रै रन्वागतं धर्मराजं वनस्थम् / मिक्षाभुजां ब्राह्मणानां महात्मनां तदा नाशंसे विजयाय संजय // 108 यदाश्रौषमर्जुनो देवदेवं किरातरूपं त्र्यम्बकं तोष्य युद्धे / अवाप तत्पाशुपतं महास्त्रं तदा नाशंसे विजयाय संजय / / 109 यदाश्रौषं त्रिदिवस्थं धनंजयं शक्रात्साक्षादिव्यमस्त्रं यथावत् / अधीयानं शंसितं सत्यसंधं / तदा नाशंसे विजयाय संजय // 110 यदाश्रौषं वैश्रवणेन सार्धं समागतं भीममन्यांश्च पार्थान् / तस्मिन्देशे मानुषाणामगम्ये तदा नाशंसे विजयाय संजय // 111 यदाश्रीषं घोषयात्रागतानां बन्धं गन्धर्वैर्मोक्षणं चार्जुनेन / स्वेषां सुतानां कर्णबुद्धौ रतानां तदा नाशंसे विजयाय संजय / / 112 यदाश्रौषं यक्षरूपेण धर्म समागतं धर्मराजेन सूत / प्रश्नानुक्तान्विब्रुवन्तं च सम्यक् तदा नाशंसे विजयाय संजय / / 113 यदाश्रौषं मामकानां वरिष्ठा न्धनंजयेनैकरथेन भग्नान् / विराटराष्ट्रे वसता महात्मना तदा नाशंसे विजयाय संजय / / 114 यदाश्रौषं सत्कृतां मत्स्यराज्ञा सुतां दत्तामुत्तरामर्जुनाय / तां चार्जुनः प्रत्यगृह्णात्सुतार्थे तदा नाशंसे विजयाय संजय // 115 यदाश्रीषं निर्जितस्याधनस्य प्रव्राजितस्य स्वजनात्प्रच्युतस्य / अक्षौहिणीः सप्त युधिष्ठिरस्य तदा नाशंसे विजयाय संजय // 116 यदाश्रौषं नरनारायणौ तौ कृष्णार्जुनौ वदतो नारदस्य / अहं द्रष्टा ब्रह्मलोके सदेति ___ तदा नाशंसे विजयाय संजय // 117 यदाश्रौषं माधवं वासुदेवं सर्वात्मना पाण्डवार्थे निविष्टम् /
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