Book Title: Madhya Asia aur Punjab me Jain Dharm
Author(s): Hiralal Duggad
Publisher: Jain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi

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Page 5
________________ दो शब्द पंडित हीरालाल जी दूगड़ की इस बहु मूल्य कृति को पुस्तक के रूप में प्रकाशित देखकर मुझे बहुत प्रसन्नता हुई। वे जैनधर्म के कतिपय विद्वानों में से एक हैं। उन्होंने जैनधर्म विषयक उपयोगी जानकारी एक स्थान पर एकत्रित करने का जो भागीरथ प्रयत्न किया है—विज्ञ पाठक इससे भरपूर लाभ उठायेंगे ऐसी अाशा है । उनकी धाराप्रवाह शैली ने गम्भीर विषय को भी पठनीय और सुपाच्य बना दिया है। विषय सामग्री को अधिकाधिक उपयोगी बनाने में उन्होंने कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। उनके परिश्रम की जितनी सराहना की जाए कम हैं। -साध्वी श्री मृगावतीश्री Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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