Book Title: Leshya dwara Vyaktitva Rupantaran
Author(s): Shanta Jain
Publisher: Z_Parshvanath_Vidyapith_Swarna_Jayanti_Granth_012051.pdf

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Page 4
________________ लेश्या द्वारा व्यक्तित्व रूपान्तरण नील लेश्या वाले प्राणी में नील रंग की प्रधानता अधिक होती है। वह ईर्ष्यालु, असहिष्णु, आग्रही, अज्ञानी, मायावी, निर्लज्ज, द्वेष बुद्धि से युक्त, रसलोलुप, सुखेच्छु होता है। कापोत लेश्या वाले प्राणी में कापोत वर्ण की प्रधानता अधिक होती है। उसमें वाणी की वक्रता, आचरण का दुहरापन, अनेक दोषों को छुपाने की मनोवृत्ति होती है। मखौल करना, कटु-अप्रिय वचन बोलना, चोरी करना, मात्सर्यभाव रखना उसके विशेष लक्षण होते हैं। तैजस लेश्या के प्राणी में लाल रंग की प्रधानता होती है। लाल रंग प्रधान व्यक्ति विनम्र, धैर्यवान, अचपल, आकांक्षा-रहित, जितेन्द्रिय, पापभीरु होता है। उसमें मुक्ति की गवेषणा होती है, पर-हितैषी होता है । __पद्म लेश्या में पीला रंग प्रधान होता है। क्रोध, मान, माया, लोभ की मनोवृत्ति अत्यन्त अल्प हो जाती है। उसमें चित्त की प्रसन्नता, आत्म-नियन्त्रण, अल्पभाषिता और जितेन्द्रियता का विकास होता है । शुक्ल लेश्या श्वेत प्रधान होती है। शुक्ल लेश्या वाला प्राणी जितेन्द्रिय, प्रशान्तचित्त वाला होता है। उसके मन, वचन और कर्म में एकरूपता होती है।' __ रंग को न केवल सैद्धान्तिक दृष्टि से व्याख्यायित किया गया है अपितु आज विज्ञान की सभी शाखा-प्रशाखाओं में रंग के महत्त्व पर प्रकाश डाला जा रहा है। भौतिकवादियों, रहस्यवादियों, मंत्र-शास्त्रियों, शरीर-शास्त्रियों एवं मनोवैज्ञानिकों ने अलग-अलग रूप से रंग का अध्ययन कर यह सिद्ध किया है कि यह चेतना के सभी स्तरों पर जीवन में प्रवेश करता है। रंग को जीवन का पर्याय माना गया है। वैज्ञानिकों ने स्पेक्ट्रम के माध्यम से सात रंगों की व्याख्या की है। उनके अनुसार प्रकाश तरंग के रूप में होता है और प्रकाश का रंग उसके तरंग दैर्घ्य ( Wave length ) पर आधारित है। तरंग-दैर्घ्य और कम्पन की आवृत्ति ( frequency ) परस्पर में न्यस्त प्रमाण ( inverse proportion ) से सम्बन्धित हैं। यानि तरंग दैर्घ्य के बढ़ने के साथ कम्पन की आवृत्ति कम होती है और उसके घटने के साथ बढ़ती है। सूर्य का प्रकाश त्रिपार्व कांच ( prism ) में गुजरने पर प्रकाश विक्षेपण के कारण सात रंगों में विभक्त दिखाई देता है। उस रंग पंक्ति को वर्णपट-स्पेक्ट्रम ( Spectrum ) कहते हैं । स्पेक्ट्रम के सात रंग हैं-लाल, नारंगी, पीला, हरा, नीला, जामुनी और बैगनी। इसमें लाल रंग की तरंग दैर्ध्य सबसे अधिक होती है, बैगनी ( violet ) की सबसे कम । दूसरे शब्दों में लाल रंग की कम्पन आवृत्ति सबसे कम और बैगनी रंग की सबसे अधिक होती है। दृश्य प्रकाश में जो विभिन्न रंग दिखाई देते हैं, वे विभिन्न कम्पनों की आवृत्ति या तरंग दैर्घ्य के आधार पर होते हैं। रंग और प्रकाश दो नहीं। प्रकाश का ४९वाँ प्रकम्पन रंग है प्रकाश का महासागर जो सूर्य से निकलता है वह शक्ति और ऊर्जा का महास्रोत होता है। १. उत्तराध्ययन ३४/२१-३२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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