Book Title: Lakshanik Sahitya Jain History Series 5 Author(s): Ambalal P Shah Publisher: 108 jain Tirth Darshan Trust View full book textPage 2
________________ कसर धनुरंगाला यामाकमा मिि पसिनाव दनाऊमे अन्यायामाया पानवा दाणग 4 कला गितार वानरा नागा क मला म सपनीयम मोसम मा डाकमिवसि निःस्य सानिमा जग ये निय प्राजापन खायनादकाद्या हार्जिश इरिमनोमालिनजानमा दारुणादिवादाण साया विि फलड़] [15] वाघूमान मानार्थ सांगोनटनटनटी पात्र की सम्माननिनि नवमानमकारयामाम वावी जो महावनिय किमामेतिना क्यामाराम मवकीर नमामि कमाया कसन मारमा यदि गायिका कानससिमनसोकका सालिना। कल क • पिपदनिरासामा सेजमा सर्व 'कथाम निमममोपविसावा मदनदा मकोयशस्वास्वा स्वायनाक को ११ नम मानसैवायमधिया निजल्या लपके बालासामाया तमासा दीवाना कलाझा दादाय सितापुत्र दालमियानगया था कामाकतिया माया ॥४१ मजा पिपि दिव अादत॥५४यण सवनासिकशिकार पनिखनवी वर्मा मानोरमा जारियमानासमाधि नामादिद मामामपिवाताजानीतिशाखामा पिसावाडीवाना सिमान ज्ञया ॥ यथा सामानाय सुशा पापविनिधापिका थायम इयंमीलनालयादेवी मचिव सविनानि यता पा कलावावाला सामोसा साधावान गाविस सामपत्रिका लाल समिधा मायामयः कुशाखनाखन जायनादिरालयसँग मानविष्यात्यायनी संवयन नियममा अनिश्विनावलि॥ मानिकरान्यष्यसिमिता मानानामा मानवाकराना ज्ञान पापिदिनाकि वामानविषया मायमधिनिदPage Navigation
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