Book Title: Laghvarhanniti
Author(s): Hemchandracharya, Ashokkumar Sinh
Publisher: Rashtriya Pandulipi Mission

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Page 2
________________ भारत की पाण्डुलिपि सम्पदा के संरक्षण तथा उसमें निहित ज्ञान के प्रचार एवं उपयोग के लिए भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने सन् 2003 में राष्ट्रीय पाण्डुलिपि मशिान की स्थापना की। मिशन ने इस दायित्व को अनेक कार्यक्रमों के तहत पूरा करने का कार्य आरम्भ किया है। इसी क्रम में अप्रकाशित पाण्डुलिपियों को प्रकाशिका नामक सीरीज के अन्तर्गत तीन रूपों में प्रकाशित किया जाता है। 1. प्रतिलपि संस्करण (Facsimile editions) 2. आलोचनात्मक संस्करण (critical editions) 3. अनुवाद एवं व्याख्या सहित आलोचनात्मक संस्करण कलिकालसर्वज्ञ महान जैनाचार्य श्री हेमचन्द्र (वि० सं० 1145-1229) द्वारा संस्कृत में प्रणीत एवं स्वोपज्ञ वृत्ति युक्त राजनीति शास्त्र विषयक लघ्वर्हन्नीति को भोगीलाल लहेरचन्द भारतीय संस्कृति मन्दिर, दिल्ली तथा हेमचन्द्राचार्य जैन हस्तप्रत भण्डार, पाटण (गुजरात) में उपलब्ध देश में मात्र चार हस्तलिखित प्रतियों के आधार पर परिशिष्टों सहित सम्पादन एवं हिन्दी अनुवाद (मूल एवं वृत्ति) विद्वज्जगत् के समक्ष प्रस्तुत है। प्रस्तुत ग्रन्थ का शीर्षक लघ्वर्हन्नीति है। यह कृति चौलुक्य राजा कुमारपाल के आग्रह पर पूर्वविरचित, किन्तु सम्प्रति अनुपलब्ध प्राकृत भाषा निबद्ध समानविषयक विशाल ग्रन्थ अर्हन्नीति शास्त्र से सार ग्रहण कर लिखा गया है। इस कारण आचार्य ने अपनी इस कृति का शीर्षक लघ्वर्हन्नीति और स्रोत ग्रन्थ को वृहदर्हन्नीति शीर्षक से उल्लिखित किया है। Cover Image : Adhaidvipa Courtesy : Rajasthan Oriental Research Institute Jodhpur

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