Book Title: Kobatirth Parichay
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 5
________________ विद्वानों एवं संशोधकों की सुविधा हेतु मैगजिन पेटांक की प्रविष्टि, कृति विषयांकन, चित्र पेटांक आदि कार्यों की योजनाएँ बनाई गयी हैं. इस कार्य के पूर्ण हो जाने से विद्वानों को उनकी वांछित सामग्री शीघ्रता से प्राप्त करने में काफी सहयोग मिलेगा. प्राचीन महत्त्वपूर्ण ग्रंथों को स्कैनिंग कर डी. वी. डी. तैयार करने का कार्य भी किया जा रहा है ताकी आने वाली पीढ़ी को भी उन ग्रंथों के अध्ययन-मनन का लाभ प्राप्त हो सके. वाचक सेवा : इस ज्ञानभंडार की मुख्य विशेषता यह है कि जो कहीं न मिले वैसी दुर्लभ पुस्तकें भी सहजता पूर्वक प्राप्त हो जाती है. अध्ययन स्वाध्याय के लिये उपयोगी अधिकांश पुस्तकों की अनेक प्रतियाँ यहाँ से वाचकों को उपलब्ध कराई जाती हैं. इस ज्ञानभंडार में स्वविकसित कम्प्यूटर प्रोग्राम की विशेषता यह है कि इसके द्वारा पुस्तकों की इतनी सूक्ष्मतम् माहिती भरी जाती है कि वाचक के पास यदि थोडी सी भी जानकारी हो तो उनकी वांछित पुस्तक शीघ्र उपलब्ध कराई जाती है. इससे वाचकों का समय बचता है. श्रुत अनुसंधान के लिये प्राचीन एवं नवीन पत्रिकाओं की सूक्ष्मतम माहिती भरने का कार्य, कृति विषयांकन जैसे की-वर्ड, की-सेन्टेंशिंग आदि भरने का कार्य शुरु किया जाएगा. इस प्रकार के विलक्षण कार्यों से वाचकों की सेवा में उल्लेखनीय सुधार होगा. जैसे वाचकों को अपनी आवश्यक विषय के अतिरिक्त अन्य पुस्तकों को देखने की जरुरत नहीं पड़े तथा उनकी आवश्यकता की पुस्तकें शीघ्रता पूर्वक दी जा सकेगी. जैन शिल्प स्थापत्य की सरलता से पहचान की जा सके तथा अन्य उपयोगी चित्रों की विगत शीघ्रता से प्राप्त की जा सके इसलिये चित्र पेटांक प्रोजेक्ट का कार्य प्रारम्भ करने की योजना है. इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत ग्रंथों में उपलब्ध चित्रों की माहिती विषयांकन पद्धति से भरे जाएंगे जिससे कोई भी तीर्थ, भगवान के चित्र, जैन स्थापत्य आदि की जानकारी क्षणभर में उपलब्ध कराई जा सकेगी. अपना यह ज्ञानभंडार कम्प्यूटर जैसे आधुनिक संसाधनों से सुसज्ज होने से वाचकों को अपेक्षित सामग्री उपलब्ध करवाने में शीघ्रता पूर्वक सेवा दे रही है. जो कोई ग्रंथ कहीं भी न मिले वह ग्रंथ कोबा के भंडार में अवश्य ही मिलेगा ऐसी धारणा आज कोबा भंडार की विशिष्टता है. आने वाले वाचकों के द्वारा मांगी गई पुस्तक अल्पावधि में ही थोड़ी औपचारिकत के पश्चात् शीघ्रता से पढ़ने हेतु मिल जाती है, अन्यत्र ऐसी सुविधा भाग्य से ही कहीं देखने को मिले. ऐसी एवं इस प्रकार की अनेक विशेषताएँ अपने ज्ञानभंडार के विषय में लोकप्रचलित है. दर्शकों एवं विद्वानों ने यहाँ की व्यवस्था की भूरी-भूरी प्रशंसा की है तथा सुचारु एवं चिरकाल तक हस्तप्रतों को संरक्षित करने की व्यवस्था से प्रभावित होकर अनेक जैन संघों ने अपने यहाँ बंद पड़े ज्ञानभंडार एवं कई लोगों ने अपने व्यक्तिगत संग्रहों को यहाँ पर भेंट में दिया है. ज्ञानमंदिर के अन्तर्गत निम्नलिखित परिजोयनाओं का कार्य प्रगति पर है : (1) समग्र उपलब्ध जैन साहित्य की विस्तृत सूची तैयार करना. इसके तहत (क) समग्र हस्तलिखित जैन साहित्य का विस्तृत सूचीपत्र बनाना. (ख) समग्र मुद्रित जैन साहित्य का कोष बनाना. (ग)

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